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सबके ‘वीर’ महावीर जी पंचतत्व में विलीन

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सरकार्यवाह सहित वरिष्ठ कार्यकर्ताओं, हजारों स्वयंसेवकों, नागरिकों ने दी श्रद्धांजलि

महावीर जी कहते थे, सुबह जल्दी उठो तो दिन 36 घंटों का हो जाता है

मानसा, पंजाब (विसंकें). सभी को अपने-अपने से लगने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य महावीर जी का भौतिक शरीर पंचतत्वों में विलीन हो गया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी, सह सरकार्यवाह सुरेश जी सोनी, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी सहित अनेक संघ अधिकारियों व हजारों स्वयंसेवकों, नागरिकों, परिजनों ने सजल नेत्रों से उन्हें विदायी दी.

संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य महावीर जी का हृदयाघात के कारण 24 अक्तूबर को पीजीआई चंडीगढ़ में निधन हो गया था. स्व. महावीर जी का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए संघ कार्यालय चंडीगढ़ में रखा गया था, जहाँ हजारों स्वयंसेवकों ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धाँजलि अर्पित की. वरिष्ठ प्रचारक रामेश्वर जी, प्रान्त प्रचारक प्रमोद कुमार जी उनकी पार्थिव देह को लेकर उनके पैतृक निवास मानसा पहुंचे. मार्ग में अनेक स्थानों पर स्वयंसेवकों ने अपने महावीर जी को श्रद्धासुमन अर्पित किए. महावीर जी के भाई एडवोकेट सूरज छाबड़ा, सुभाष छाबड़ा व अन्य परिजनों की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे और महावीर जी की संघ व बचपन से जुड़ी यादों का स्मरण कर भावविह्वल होते दिखे.

पूरे सम्मान के साथ उनकी पार्थिव देह को स्थानीय रामबाग ले जाया गया, जहां दिवंगत महावीर जी के भतीजे समीर छाबड़ा, सौरभ छाबड़ा व कुणाल छाबड़ा ने उन्हें मुखाग्नि दी. इस मौके पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक प्रेम गोयल जी, प्रेम कुमार जी, क्षेत्र प्रचारक बनवीर जी, किशोरकांत जी, अशोक प्रभाकर जी, पंजाब प्रांत के संघचालक स. बृजभूषण सिंह बेदी जी, कार्यकारिणी के सदस्य मुनिश्वर लाल जी, हिमाचल के प्रांत प्रचारक संजीवन कुमार जी, सह प्रांत प्रचारक संजय कुमार जी, कार्यवाह किस्मत कुमार जी, हरियाणा प्रांत के संघचालक मेजर करतार सिंह जी सहित स्वयंसेवक, विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि और नागरिक मौजूद थे.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी द्वारा भेजा गया शोक संदेश पढ़कर सुनाया गया. सरसंघचालक जी ने अपने सन्देश में महावीर जी को सौम्य शांत प्रसन्नचित स्वभाव वाला व्यक्तित्व बताया. उन्होंने कहा कि संगठन की इच्छानुसार प्रत्येक काम के लिए स्वयं को ढाल लेना उनकी विशेषता थी.

महावीर जी जाते जाते नेत्रदान कर दो लोगों के जीवन को रोशन कर गए.

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