टिकटॉक – एंटरटेनमेंट के नाम पर परोसी जा रही अश्लीलता
प्रखरादित्य द्विवेदी
मेरी मजबूरी पर जरा गौर करिए, ऑनलाइन माध्यमों के अधिक प्रयोग से पड़ने वाले दुष्प्रभावों को मुझे मोबाइल पर ही लिखकर बताना पड़ रहा है. इससे एक कदम और आगे बढ़ेंगे तो पाएंगे कि इसे पढ़ने-देखने वाला भी ऑनलाइन होकर ही इसे देख-समझ सकता है. खैर, पिछले कुछ समय से कोरोना महामारी के कारण विश्व के अधिकांश देशों में कार्यस्थलों पर ताला लग चुका है. अधिकांश लोगों को घरों में कैद होना पड़ा. इसके साथ ही देखा गया कि सामान्य तौर पर मोबाइल डाटा की खपत कई गुना बढ़ गई है. लेकिन महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि मोबाइल पर बिताया जाने वाला यह समय आखिर युवा कैसी गतिविधियों में बीता रहे हैं? एक तरफ स्कूल और विश्वविद्यालय की सारी पढ़ाई मोबाइल फ़ोन के माध्यम से ही हो रही है, वहीं दूसरी तरफ इसी मोबाइल के माध्यम से घृणा और अश्लीलता भी परोसी जा रही है.
ऑनलाइन दुनिया में चीनी मीडिया एप्लीकेशन टिकटॉक और यूट्यूब कंटेंट क्रिएटर्स के बीच विवाद खड़ा हुआ और इसी विवाद के बहाने कई ऐसे वीडियो निकलकर सामने आये जो अभिभावक के तौर पर हमारे कान खड़े करने के लिए काफी हैं. इस प्लेटफार्म पर कंटेंट के वेरिफिकेशन और नियंत्रण का कोई तंत्र नहीं है, इस कारण यह विक्षिप्त मानसिकता वाले कुछ लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है. वैसे तो टिकटॉक के दर्ज़नों आपत्तिजनक वीडियो सामने आए हैं, लेकिन उनमें से कुछ विशेष तौर पर उल्लेखनीय हैं.
इस प्लेटफार्म के एक क्रिएटर फैजल सिद्दीकी का यह वीडियो विशेष तौर पर लोगों के गुस्से की वजह बना. इस वीडियो में फैजल एक लड़की के चेहरे पर तेजाब फेंकने की एक्टिंग करता दिखता है. ऑनलाइन मंचों पर इस तरह के व्यवहार को बढ़ावा देने वाले फैजल के लाखों प्रशंसक हैं, जो इस तरह के वीडियो के बाद एसिड अटैक को सामान्य समझने लगते हैं, यह उनके लिए मर्दानगी दिखाने का जरिया बन जाता है. इस वीडियो के सामने आने के बाद देश के तमाम महिला अधिकार संगठन और ऑनलाइन यूजर्स ने टिकटॉक के पास आपत्ति दर्ज करवाई और फैजल का अकाउंट हटा दिया गया. लेकिन क्या एक अकाउंट का हटा दिया जाना भर काफी है?
टिकटॉक पर इस तरह के तमाम वीडियो भरे पड़े हैं, जिसमें कहीं बलात्कार जैसे कुकृत्य को मर्दाना शान से जोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है तो कोई यहाँ हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलते हुए, आतंकवादी बनने की बात कहता है. एक तरफ लवजेहाद जैसी घटनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ कोई बिना चाबी के कार खोलना सिखा रहा है.
टिकटॉक एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां छोटे वीडियो बनाकर शेयर किए जाते हैं. भारत में इसे प्रयोग करने वाले युवाओं की संख्या पिछले कुछ समय में बड़ी तेजी से बढ़ी है. एक बार पहले भी इस माध्यम से फेक वीडियो के जरिए अफवाह फैलाने व अश्लीलता फैलाने वाले वीडियो आए थे. जिसके बाद टिकटॉक पर रोक(बैन) लगा दिया गया था, लेकिन टिक टॉक ने माफी मांगी और सरकार ने रोक हटा ली.
आश्चर्य की बात यह है कि अभी इस चीनी मीडिया प्लेटफार्म पर ऐसे वीडियो आ ही रहे हैं. सवाल यह है कि ऐसे कंटेंट पर रोक कौन लगाएगा, जब स्वयं युवा कंटेंट क्रिएटर और एप्लीकेशन उसे बढ़ावा दे रहे हैं. इसकी अधिकता ने युवाओं के लिए मीठे जहर का काम किया है. बच्चों को समय से पहले बड़ा होना सामान्य नहीं कहा जा सकता. हमें साधारण लगने वाला टिकटॉक हमारे घर के संस्कारों को नष्ट कर रहा है. इसका ही परिणाम है कि युवाओं में चिड़चिड़ापन, मानसिक तनाव और अनिद्रा का शिकार होने जैसी गंभीर समस्याएं होना आम हो गई हैं.
इस तरह के कंटेंट के माध्यम से युवाओं में अपने ही समाज को लेकर जहर के बीज बोये जा रहे हैं, सामाजिक ताने बाने को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. देश के कई माने जाने विद्वानों ने ऐसे एप्लीकेशन को चीन की एक सोची समझी साजिश बताया है, जिसका उद्देश्य भारतीय युवाओं की रचनात्मकता को समाप्त करके उन्हें भुलावे में रखना है और इसके लिए अपनी वस्तुओं से चीन ने हमारे बाजार को पाट रखा है. अब जरूरत है कि पड़ोसी देश की इस साजिश को समझा जाए तथा अपने युवा पूंजी व संस्कारों को बचाकर वास्तव में भारत को विश्व गुरु का स्थान वापस दिलाया जाए.
(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में अध्यनरत हैं.)
https://www.youtube.com/watch?v=qEIM-7aQehI