मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) के आदेश के पश्चात अपर्णा सेन, मणिरत्नम, रामचंद्र गुहा सहित 50 वामपंथी हस्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने इन हस्तियों के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका दायर की थी.
इन हस्तियों ने तथाकथित मॉब लिंचिंग के मामलों को आधार बनाकर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा था. इनके खिलाफ बिहार में प्राथमिकी दर्ज की गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एफआईआर बिहार के मुजफ्फरपुर में दर्ज की गई है.
स्थानीय अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा द्वारा दो माह पहले दायर याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्य कांत तिवारी के आदेश के बाद यह प्राथमिकी दर्ज हुई है. ओझा ने कहा कि सीजेएम ने 20 अगस्त को उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी. इसके बाद गुरूवार को सदर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज हुई. ओझा ने आरोप लगाया है कि इन हस्तियों ने देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को कथित तौर पर धूमिल किया.
प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गई है. इसमें राजद्रोह, उपद्रव करने, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित धाराएं लगाई गईं हैं.
पत्र लिखने वालों में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्म निर्देशक मणिरत्नम, फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप, फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल, अभिनेता सौमित्र चटर्जी, अभिनेत्री अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा और गायिका आदि शामिल हैं. पत्र में लिखा गया था कि ‘जय श्री राम’ एक भड़काऊ नारा बन गया है और इसके नाम पर मॉब लिंचिंग की कई घटनाएँ हो रही हैं, जो कानून व्यवस्था के लिए समस्या बन गया है.
एक ओर तथ्य भी ध्यान देने योग्य है कि जबरन जय श्री राम बुलवाने के नाम पर मारपीट की काफी घटनाएं (शिकायतें) जांच के पश्चात झूठी साबित हुई थीं.