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सीमा जागरण मंच के राकेश जी का सड़क दुर्घटना नें निधन

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जोधपुर. सीमा जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री राकेश जी और सीमाजन कल्याण समिति जैसलमेर के संगठन मंत्री श्री भीक सिंह जी का गुरुवार 12 जून को पूर्वान्ह साढ़े 11 बजे एक सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया.

प्राप्त सूचना के अनुसार राकेश जी जैसलमेर से जोधपुर आ रहे थे. वे गाड़ी की ड्राइवर सीट के बगल में बैठे थे. गाड़ी को श्री भीक सिंह जी चला रहे थे. जैसलमेर से कुछ ही आगे सोडाकोर ग्राम के पास यह पलट गई, जिससे श्री राकेश जी और श्री भीक सिंह जी का दुर्घटनास्थल पर ही देहांत हो गया. गाड़ी में श्री अशोक प्रभाकर जी और प्रदेश संगठन मंत्री नेम सिंह जी भी सवार थे. श्री नेम सिंह जी इस दुर्घटना में घायल हो गये, किंतु अस्पताल में उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है.

श्री राकेश जी का अंतिम संस्कार शुक्रवार, 13 जून को लुधियाना के पास मंडी अहमदगढ़ में बजरंग अखाड़ा के पास होगा. राकेश कुमार जी की पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिये सड़क मार्ग से लुधियाना ले जाया जा रहा है.

1955 में जन्मे श्री राकेश कुमार जी मूलत: लुधियाना के थे. सीमा जागरण मंच (पंजाब में सरहदी लोक सेवा समिति) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री का दायित्व सम्भालने से पूर्व वे जम्मू कश्मीर के प्रान्त प्रचारक रहे थे. वे आपात्काल के दौरान सामाजिक जीवन में आये और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने. उन्हें पहले गुरदासपुर का जिला प्रचारक नियुक्त किया गया. इसके बाद वे अमृतसर के विभाग प्रचारक, पंजाब के सह-प्रांत प्रचारक व जम्मू-कश्मीर के प्रांत प्रचारक बने. राकेश कुमार जी अपनी संगठनात्मक कार्य शैली और मृदु व्यवहार के कारण कार्यकर्ताओं के बीच बहुत प्रिय थे. पिछले वर्ष आयोजित सरहद को प्रणाम कार्यक्रम में उनकी महती भूमिका रही थी.

निर्भीक, साहसी और कर्मठ कार्यकर्ता रहे श्री राकेश कुमार को उनके गुणों के कारण उन राज्यों में भेजा गया जो आतंकग्रस्त रहे. देश की सीमाओं पर बढ़ रही विदेशी शक्तियों की गतिविधियों के दृष्टिगत सीमावासियों के जनजागरण का काम उन्हें सौंपा गया. इसी उद्देश्य से प्रवास के लिये वे राजस्थान गये थे.

सीमा जागरण मंच को 1984 में स्थापित किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य देश की सीमा की सुरक्षा हेतु सामाजिक चेतना जागृत करना है. वस्तुत: भारत-नेपाल सीमा, भारत-पाक सीमा, भारत-चीन सीमा का सर्वेक्षण करने पर पाया गया कि सीमा पर सैन्य बल पद स्थापना के पश्चात सीमांत के लोग निश्चिंत हो जाते हैं. सैन्य बल की मर्यादा निर्धारित है तथा सीमांत के निवासियों का एक वर्ग भारत विरोधी ताकतों की सहायता करता है.

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