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स्वस्थ समाज, सुदृढ़ भारत के निर्माण के लिए आगे आएं – डॉ. मनमोहन वैद्य जी

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भेजनलहरागागा (पंजाब). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि देश के मौजूदा हालातों में एकता के सूत्र को बनाये रखने की बहुत जरूरत है. इसके लिए संघ के कार्यकर्ता अपनी जिम्मेवारी को समझते हुए कार्य करें. डॉ. मनमोहन जी संगरूर जिले के फतेहगढ़ गांव में स्थित के सीटी कॉलेज में उत्तर क्षेत्र यानि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, तथा हिमाचल से आए 350 स्वयंसेवकों के बीस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में मातृहस्त भोजन कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. मातृहस्त भोजन कार्यक्रम में 175 परिवारों से माताओं, बहनों, बच्चों और युवाओं ने भाग लिया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता क्षेत्र के प्रसिद्ध समाजसेवी सन्त स्वामी जगदीशानंद बखोरा कलां वालों ने की. स्वामी जी ने संघ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि आज संघ जैसे संगठनों की आवश्यकता और अधिक बढ़ गयी है.

डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व्यक्ति निर्माण के साथ साथ निःस्वार्थ भाव से समाज की जरुरतों पूरा करने के लिए अपना योगदान देने की प्रेरणा देता है. जीवन में सफलता के साथ- साथ जीवन को सार्थक करने की बात पर भी जोर देते हुए कहा कि समाज से हमें जो मिलता है, उससे अधिक समाज को लौटाने में ही जीवन की सार्थकता है. उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों द्वारा देश भर में एक लाख साठ हजार सेवा प्रकल्प चलाने की जानकारी दी.

उन्होंने भारत की धरती को सभी मत पन्थों के लिए पूजनीय बताया और कहा कि इसका कारण हमारा अध्यात्म आधारित जीवन का विचार है जो हमें सरबत के भले के लिए काम करने तथा उसके लिए त्याग करने की प्रेरणा देता है. जिसके अनेकों उदाहरण पंजाब की धरती पर हमने देखे हैं. आज आवश्यकता इसी को बनाये रखने की है, क्योंकि स्वार्थी राजनेता जाति, भाषा, प्रान्त के नाम पर भेद खड़े करते दिख रहे हैं. इसलिए आज हमें अपनी एकता के आधार को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से भी अपील की कि वो ऊंच-नीच के भेदभाव, जातपात से ऊपर उठकर स्वस्थ समाज और सदृढ़ भारत की रचना के लिए आगे आएं. 175 परिवारों से आई माताओं द्वारा अपने हाथ से बनाकर लाया गया भोजन करवाना प्रारम्भ हुआ, पहले से तय की गयी रचना के अनुसार भोजन हुआ. भोजन से पहले गुरुबाणी के शबद तू दाता दातार……….का सामूहिक गायन हुआ. भोजन के दौरान स्वयंसेवकों का परिवार के साथ आत्मिक परिचय, विचारों का आदान प्रदान हुआ.

 

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