देहरादून (विसंके उत्तराखंड). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक आलोक जी ने कहा कि भगवान बुद्ध के बाद यदि किसी व्यक्ति ने आध्यात्मिक क्षेत्र में भारत की छवि को विश्वपटल पर ख्याति दिलायी है तो वे स्वामी विवेकानंद थे.
उन्होंने यह बात विश्व संवाद केन्द्र धर्मपुर में आयोजित स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर कही. कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता उन्होंने कहा कि एक पत्रकार, लेखक, आध्यात्मिक गुरू और प्रखर वक्ता के तौर पर स्वामी विवेकानंद भारत में ही नहीं विदेशों में भी जाने जाते हैं. उन्होंने कई देशों में दिये अपने भाषणों और तर्कों से साबित किया कि भारत किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. चाहे आध्यात्मिक क्षेत्र हो या वैज्ञानिक, पश्चिमी देश भारत के मुकाबले काफी पीछे हैं. उन्होंने कहा कि स्वामी जी को देश की सेवा करने का अधिक समय नहीं मिला इसके बावजूद अपनी अल्पआयु में उन्होंने देश के युवाओं को नई राह दिखाई. बात चाहे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की हो या आध्यात्मिक क्षेत्र की हर जगह उन्होंने देश की जनता को संबल प्रदान किया. उन्होंने बताया कि स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से ही राज्य के चंपावत जिले से प्रबुद्ध भारत पत्रिका का प्रकाशन किया गया. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने महापुरूषों को भारत रत्न दिये जाने पर विचार विमर्श किया. सुझावों के तहत जब चयन समिति के पास नाम भेजे गये तो असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी. क्योंकि भारत में कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपना सारा जीवन समाजसेवा को समर्पित कर दिया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वाडिया हिमालयन भू विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. अनिल गुप्ता ने कहा कि हिन्दुस्तान में कुछ तो बात है कि लगातार विदेशियों के आक्रमण के बावजूद देश तरक्की के रास्ते पर निरंतर आगे बढ़ता रहा. युवाओं को प्रेरित करने से लेकर देश सेवा में समर्पित करने में स्वामी जी की प्रेरणा महत्वपूर्ण है.
कार्यक्रम का संचालन हिमांशु अग्रवाल ने किया. इस अवसर पर संवाद केन्द्र प्रमुख सतेन्द्र, नरेश, धीरेन्द्र प्रताप, अनूप, रीता गोयल, शारदा त्रिपाठी, कुलदीप आदि मौजूद थे.