देहरादून (वि.सं.के.उत्तराखंड). हरिद्वार स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव शुभारम्भ हो गया है. अमेरिका के अध्यात्मवेत्ता, समाज सुधारक और महात्मा गांधी पुरस्कार से सम्मानित श्री पैट्रिक मैक्यूलम ने इस अवसर पर बताया कि भविष्य में भारत की संस्कृति पूरे विश्व की संस्कृति बनेगी. विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पंडया ने योग, अध्यात्म और संस्कृति को राष्ट्र की उन्नति के लिये आवश्यक बताया.
विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में देश-विदेश के योगाचार्य और अध्यात्म से जुड़े 200 से अधिक महानुभाव उदघाटन समारोह में सम्मिलित हुए. श्री पैट्रिक ने कहा कि भारतीय योग, संस्कृति और अध्यात्म यह तीनों वैयक्तिक धर्म ही नहीं, बल्कि समूह धर्म और वैश्विक धर्म स्थापित करने के आधार स्तंभ हैं. यदि कभी वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक उत्थान होगा तो उसके मूल में निश्चित रूप से भारतीय संस्कृति रहेगी. डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा कि परिवार और समाज उत्थान की धुरी योग, संस्कृति और अध्यात्म है, लेकिन चिंता की बात है कि आज इनकी महत्ता को भुलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मानव जीवन को ऊंचा उठाने में योग, संस्कृति और अध्यात्म अनिवार्य है. पद्मश्री डॉ. कार्तिकेयन ने कहा कि धर्म मानव को परस्पर जोड़ता है. कुलपति शरद पारथी ने विश्वविद्यालय के विभिन्न क्रियाकलापों की जानकारी दी.