जयपुर (विसंकें). शैक्षिक मंथन संस्थान, जयपुर का सोमवार को जयपुर में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ विषयक व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित हुआ. जेएलएन मार्ग स्थित इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में हुए व्याख्यान कार्यक्रम की मुख्य वक्ता सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष मोनिका अरोड़ा जी थी. अध्यक्षता शैक्षिक मंथन संस्थान के अध्यक्ष डॉ. विमल प्रसाद अग्रवाल जी ने की. इस अवसर पर मंच पर राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति जेपी सिंघल भी उपस्थित थे.
व्याख्यान में मोनिका अरोड़ा जी ने कहा कि हिन्दुस्तान को बर्बाद और बदनाम करने के प्रयास आज से नहीं, बल्कि आजादी के साथ से ही चल रहे हैं. सालों से देश के बाहर से पैसा आता रहा है, जिसका उपयोग हिन्दुस्तान के खिलाफ बोलने और इसे बर्बाद करने में किया जाता रहा है. जब से केन्द्र में भाजपा सरकार आई है, तब से उसने इस पर अंकुश लगाया है. एनजीओ को बाहर से मिलने वाली फंडिंग पर अंकुश लगाया गया. ऐसे करते ही करोड़ों का अनुदान पाने वाले एनजीओ विचलित हो गये हैं. ‘असहिष्णुता’, ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ आदि बेतुके मुद्दों पर हो-हल्ला इसी का परिणाम है. उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान को बर्बाद करने वालों के खिलाफ केन्द्र सरकार तो अपना काम कर ही रही है, हम भी अपना गिलहरी प्रयास जारी रखें. सोशल मीडिया आदि के माध्यम से अपने आस-पास व समाज को जागरूक करने का प्रयास करते रहें. अगर हम ऐसा कर सके तो देश के विरुद्ध काम करने वालों के खिलाफ हम क्रांति ला सकने में सफल होंगे.
जेएनयू में लगे देश – विरोधी नारों के मामले पर मोनिका जी ने कहा कि कन्हैया भगत सिंह की तरह जेल से बाहर नहीं आया है, न्यायालय की भयंकर डांट खाकर बाहर आया है. जेल से बाहर आते ही उसके सुर बदले है. अब तक भारत से आजादी की बात करने वाले अब भारत में आजादी की बात करने लगे हैं. उन्होंने देश विरोधी बात की बजाय संघ विरोधी बात करना शुरू कर दिया है. ये लोग अब राष्ट्र विरोध से हिन्दू विरोध पर तो आ गये हैं, लेकिन इन्हें मालूम नहीं कि हिन्दू विरोध भी तो एक अपराध बनता है. कन्हैया को चेतावनी देकर छोड़ना केवल न्यायालय का एन्टिबाइटिक प्रयास था. आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय ‘सर्जरी’ भी करेगा और ‘हाथ-पांव’ भी काटने पड़े, तो वह भी करेगा.
जेपी सिंघल ने कहा कि निश्चित सीमाओं में रहकर व्यक्ति अपनी बात को कहने का हक रखता है. संविधान में तय बातों का ध्यान रखते हुये व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता की बात कह सकता है. लेकिन पिछले दिनों देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर जो हुआ, वह निश्चित ही निंदनीय है. देश में रहकर भारत माता के खिलाफ बात करने की बात भारत की एकता अखण्डता के लिए खतरा है. भारत को तोड़ने के प्रयास में लगे लोगों के खिलाफ हम सबको मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है. इस देशहित के कार्य में हम सब लगें.