नई दिल्ली. 18 मई, 1974 को पोखरण में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया, जिसका कूट था ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा Smiling Buddha. उस समय भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी थीं. इस परीक्षण के साथ भारत छठा परमाणु क्षमता संपन्न देश बन गया था.
भारत के परमाणु शक्ति संपन्न होने की दिशा में काम तो वर्ष 1945 में ही शुरू हो गया था, जब होमी जहांगीर भाभा ने इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की नींव रखी. लेकिन सही मायनों में इस दिशा में भारत की सक्रियता वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बढ़ी. इस युद्ध में भारत को शर्मनाक तरीके से अपने कई इलाके चीन के हाथों गंवाने पड़े थे. इसके बाद वर्ष 1964 में चीन ने परमाणु परीक्षण कर महाद्वीप में अपनी धौंसपट्टी और तेज कर दी. दुश्मन पड़ोसी की ये हरकतें भारत को चिंतित व विचलित कर देने वाली थीं. लिहाजा सरकार के निर्देश पर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने प्लूटोनियम व अन्य बम उपकरण विकसित करने की दिशा में सोचना शुरू किया.
भारत ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज किया और वर्ष 1972 में इसमें दक्षता प्राप्त कर ली. वर्ष 1974 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत के पहले परमाणु परीक्षण के लिए हरी झंडी दे दी. इसके लिए स्थान चुना गया राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित छोटे से शहर पोखरण के निकट का रेगिस्तान और इस अभियान का नाम दिया गया स्माइलिंग बुद्धा. इस नाम को चुने जाने के पीछे यह स्पष्ट दृष्टि थी कि यह कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए है.