प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) : गंगा यमुना के दोआब में तीन साल पहले शुरू हुई सरस्वती की खोज अभियान में अब कुछ परिणाम सामने आए हैं. नेशनल ज्योग्राफिकल रिसर्च इंस्टीट््यूट हैदराबाद (एनजीआरआइ) के विज्ञानियों के मुताबिक गंगा-यमुना के बीच 250 मीटर नीचे 45 किलोमीटर लंबी प्राचीन नदी मिली है. यह नदी चार किलोमीटर की चौड़ाई में है. नदी की धारा मिलने पर उस पौराणिक मान्यता को बल मिलता है, जिसमें कहा जा रहा है प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है. सरस्वती नदी यहीं पर विलुप्त हो गई है.
2018 में विज्ञानियों की टीम ने प्रयागराज से कौशांबी होते हुए कानपुर तक सरस्वती नदी की खोज शुरू की थी. इसके लिए एनजीआरआइ की टीम ने प्रयागराज से लेकर कौशांबी तक दर्जन भर से अधिक स्थानों पर गहरी बोङ्क्षरग की. बोङ्क्षरग से निकली मिट्टी और पानी का अलग-अलग स्तर पर सैंपल लेकर हैदराबाद में जांच हुई. इस दौरान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे भी किया गया. जांच में पानी में मिले तत्व, मिट्टी की परतें, मिट्टी के मौजूद खनिज, उनकी उम्र आदि की जांच की गई. करीब तीन साल तक जांच प्रक्रिया चली. जांच के बाद अब एनजीआरआइ ने रिपोर्ट प्रकाशित किया है.
रिपोर्ट में विज्ञानी सुभाष चंद्र, वीरेंद्र एम तिवारी, सौरभ के वर्मा आदि की टीम ने बताया कि गंगा और यमुना के बीच दोआब में 250 मीटर नीचे सदियों पुरानी एक नदी की धारा मिली है. उसके बहाव को देखते हुए नदी कहा गया है. जमीन के नीचे पानी का भंडार अलग-अलग स्तरों पर है, लेकिन यह उससे अलग है. नदी की धारा प्रयागराज से कौशांबी तक 45 किलोमीटर में है. इसकी चौड़ाई चार से छह किलोमीटर है. इसमें पानी की गहराई कहीं 15 तो कहीं 30 मीटर तक है. इस नदी के मिलने से सरस्वती के अस्तित्व को बल मिला है. विज्ञानियों ने इसे सरस्वती नदी तो नहीं कहा, लेकिन बताया कि यह सदियों पुरानी है.
साभार – दैनिक जागरण