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पुण्य के कार्य में छोटा-सा सहभाग कई पीढ़ियों को गौरवान्वित करता है – डॉ. मोहन भागवत जी

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गाजीपुर, काशी (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि पुण्य के कार्य में की गयी छोटी सी सहभागिता कई पीढ़ियों को गौरवान्वित करती है. सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर दर्शन से मुझे अपार ऊर्जा प्राप्त हुई है. इस ऊर्जा का प्रयोग लोक कल्याण में करना ही जीवन का ध्येय है. बुधवार को काशी प्रान्त के गाजीपुर जनपद के सिद्धपीठ हथियाराम मठ दर्शन करने पहुंचे सरसंघचालक जी ने आध्यात्मिक जागरण द्वारा राष्ट्र उन्नयन अधिष्ठान विषयक संगोष्ठी में  उपस्थित लोगों को संबोधित किया. सरसंघचालक जी ने मठ में स्थित बुढ़िया माता मंदिर में दर्शन-पूजन किया. इस दौरान महंत भवानीनन्दन यति महराज ने डॉ. मोहन भागवत जी को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानि‍त किया.

सरसंघचालक जी ने कहा कि 125 वर्ष पूर्व ही योगी अरविन्द ने कहा था कि सनातन धर्म का उत्थान हो, ये भगवान् की इच्छा है और जब सनातन धर्म का उत्थान आवश्यक हो जाता है तब हिन्दू राष्ट्र का, भारतवर्ष का उत्थान भगवान करते हैं….और वो समय आया है आज, वो सब कुछ हो रहा है और नियति के सूत्र के अनुसार हो रहा है. हमारी बहादुरी ये है कि नियति अपना काम कर रही हो तो उस धर्म कार्य का, सद्कार्य का, मानवता के कल्याण के कार्य का निमित्त हम बनें. हम चुपचाप हाथ धरे बैठे तमाशा ना देखते रहें.

उन्होंने कहा कि नियति अपना काम करेगी, प्रकृति अपना चक्र पूरा करेगी. भगवान् की इच्छा से जो होना है होगा. हमारा कर्तव्य ये बनता है कि भगवान् की इच्छा से जो कार्य हो रहा है, उसमें अपना हाथ लगे. पुण्य कार्य में हाथ लगने से हमारा जीवन धन्य होगा, हमारा मनुष्य जन्म सार्थक होगा. उन्होंने रामसेतु निर्माण में गिलहरी के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि यदि गिलहरी बोल पाती तो अपनी पीढ़ियों को बताती कि रामसेतु बनाने में उनके कुल ने कितना योगदान दिया है.

उन्होंने कहा कि इस देश में सनातन काल से जो जीवन चला, आज भी देखने को मिल रहा है. वो जो जीवन चला उसने मनुष्य मात्र की मुक्ति का मार्ग खोल दिया. उसने कभी भी दुनिया के किसी भी जन को, देश को पीड़ित नहीं किया. अगर दुनिया भर में गये तो ध्यान लेकर गए, सभ्यता और संस्कृति लेकर गए, अपने हृदय का प्रेम लेकर गए.| हमारे देश ने दुनिया को बाजार नहीं, कुटुम्ब बनाया. हम उस देश के नागरिक हैं, पुत्र हैं, इसलिए आपस में हम भाई लगते हैं. हमारे यहाँ अनेक प्रकार के भाषा, जाति, पंथ संप्रदाय हैं, लेकिन हम उसको भेद नहीं मानते हैं. हम कहते हैं ये हमारा श्रृंगार है, एक ही बगीचे के रंग-बिरंगे फूल हैं. सबको एक ही मिट्टी से जीवन का एक ही रस मिला है.

बलिदानियों के परिजनों का किया सम्मान

सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ यात्रा के दौरान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने बलिदान दिवस पर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को नमन किया. उन्होंने जनपद के बलिदानियों को भी श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिजनों व प्रतिनिधियों को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया. जिसमें परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के पुत्र जैनुल बसर, महावीर चक्र विजेता रामउग्रह पांडेय की पुत्री सुनीता पांडेय, बलिदानी पारसनाथ सिंह के पुत्र सचिंद्र सिंह, बलिदानी रामचन्द्र मिश्र की धर्मपत्नी रामलली देवी व बलिदानी रितेश्वर राय के प्रतिनिधि रामनारायण राय को सम्मानित किया.

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