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हिमाचल में भी हुआ था पहलगाम जैसा आतंकी हमला; 27 वर्ष पहले चंबा जिला के सतरुंडी, कालाबन में दिया था अंजाम

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चंबा/शिमला (हिमाचल प्रदेश)।

पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में रोष व्याप्त है। आतंकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है। आज ऐसी एक घटना की जानकारी देते हैं।

लेकिन, 27 वर्ष पहले भी ऐसी ही एक घटना हुई थी, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। वर्ष 1998 में आतंकियों ने 35 हिन्दुओं का नरसंहार कर दिया था और मुस्लिम व्यक्ति को छोड़ दिया था।

यह घटना हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में हुई थी। कश्मीर आतंकवाद की आग में जल रहा था, हिन्दू पलायन कर रहे थे। ऐसे में आस-पास के इलाकों में भी आतंकियों ने अपनी दहशत फैला रखी थी।

चंबा जिला (हिमाचल प्रदेश) जम्मू-कश्मीर की सीमा से भी जुड़ा है। ऐसे में कश्मीर में फैले आतंक का प्रभाव हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में भी दिखता था। वर्ष 1998 में हुए आतंकी हमले में आतंकियों ने 35 हिन्दुओं को बेरहमी से मार डाला था। मारे गए सभी मजदूर दूसरे राज्यों से चंबा जिले में काम करने के लिए आए थे। हमले में आतंकियों ने 6 हिन्दू मजदूरों को बंधक बना लिया था, इनमें से एक मुस्लिम मजदूर को छोड़ दिया था। बंधक बनाए गए 5 मजदूरों का आज तक पता नहीं चला है।

कहा जाता है कि आतंकियों ने एक रणनीति के तहत यह हमला किया था, कश्मीर की तरह हिमाचल प्रदेश में भी खौफ फैलाना चाहते थे।

02 अगस्त 1998 को चंबा जिले के सतरुंडी और कालाबन गांवों में हुए आतंकवादी हमले में निर्दोष मजदूरों की बेरहमी से हत्या की गई थी। हमले के बाद, मजदूरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 14 सितंब,र 2014 को एक शहीद स्मारक का निर्माण किया गया।

यह स्मारक घटनास्थल पर स्थापित किया गया, ताकि आने वाली पीढ़ियों को जघन्य हमले के बारे में जानकारी मिल सके और उन मजदूरों को याद किया जा सके। स्मारक पर हमले के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिसमें बताया गया है कि सतरुंडी गांव में 9 और कालाबन गांव में 26 हिन्दू मजदूरों की आतंकवादियों ने हत्या की थी। ये मजदूर चंबा जिले के दुर्गम इलाके में साच पास मार्ग पर सड़क निर्माण कार्य में लगे हुए थे। वे अस्थायी रूप से बनाए टेंट में रह रहे थे।

हिजबुल मुजाहिद्दीन ने ली थी हमले की जिम्मेदारी

हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों ने रात के अंधेरे में उन पर हमला कर मजदूरों को घेर लिया। उन्होंने मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी हिजबुल मुजाहिदीन नाम के आतंकी संगठन ने ली थी। यह हमला चंबा और कश्मीर की सीमा पर स्थित सतरुंडी कालाबन नामक गांव में हुआ था। आतंकवादियों ने यह हमला रात में किया था, जब सभी मजदूर अपने टेंटों में सो रहे थे। आतंकी जिला चंबा की सीमा में घुसे और सामूहिक हत्याकांड कर फरार हो गए थे।

इन मजदूरों ने न तो किसी राजनीति में भाग लिया था, न ही कोई संघर्ष छेड़ा था। वे बस अपनी रोज़ी-रोटी के लिए काम कर रहे थे। उनका अपराध सिर्फ इतना था कि वे जम्मू-कश्मीर की सीमा के पास काम कर रहे थे, और आतंकियों के लिए यह एक अवसर बन गया था। साच पास जैसे दुर्गम इलाके में काम कर रहे मजदूरों पर आतंकी हमले ने पूरे इलाके में डर और अविश्वास का माहौल बना दिया था। आज भी इस घटना की यादें लोगों के दिलों में ताजा हैं, और यह घटना प्रदेश के इतिहास का एक काला अध्याय बन गई है।

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