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सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के पश्चात प्रदर्शनकारी उखाड़ने लगे तंबू

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नई दिल्ली. तीन कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह कानून के तहत न्यायालय ने दायर चुनौती याचिका लंबित होने पर भी विरोध के अधिकार के खिलाफ नहीं है, लेकिन सड़कों को जाम नहीं किया जा सकता. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने टिप्पणी की, “आखिरकार कुछ समाधान खोजना होगा. कानूनी चुनौती लंबित होने पर भी मैं विरोध करने के उनके अधिकार के खिलाफ नहीं हूं. लेकिन सड़कों को जाम नहीं किया जा सकता है.” न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ द्वारा विचार किया जा रहा वर्तमान मामला नोएडा निवासी द्वारा किसानों के विरोध के कारण दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सड़क जाम करने के खिलाफ दायर एक याचिका का है.

सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के पश्चात किसानों ने बीच रास्ते से बू उखाड़ना शुरू कर दिया है. गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसान उठने शुरू हो गए हैं. राकेश टिकैत ने किसानों के साथ पुलिस की लगाई गई बैरीकेडिंग हटानी शुरू कर दी तो पुलिस ने उन्हें रोका. इस पर पुलिस व किसानों की झड़प भी हुई.

राकेश टिकैत ने कहा कि उन्होंने कोई रास्ता नहीं रोका था. रास्ता पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोका था. हम लोग अब दिल्ली कूच कर हैं, इसलिए पुलिस बैरिकेडिंग्स हटा रहे हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन वे इस तरह सड़क जाम नहीं कर सकते हैं.

समर्थकों के साथ राकेश टिकैत ने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए. सड़क पर लगी बैरीकेडिंग्स हटानी शुरू कर दी.

मीडिया द्वारा पूछे जाने पर राकेश टिकैत ने कहा, ‘रास्ता किसने रोक रखा है? रास्ता हमने नहीं रोक रखा है. अरे दिल्ली जाना है हमें तो. पुलिस ने रोक रखा है रास्ता. हमें दिल्ली जाना है. पुलिस से पूछा तो उन्होंने कहा हटा दो.’

 

 

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