विनोद बंसल
(राष्ट्रीय प्रवक्ता विश्व हिन्दू परिषद)
श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमित्त अक्षत निमंत्रण एक ऐसा अभियान बन गया, जिसने मात्र एक पखवाड़े में संपूर्ण विश्व को एकाकार कर दिया. क्या देश, क्या प्रांत, क्या भाषा, क्या क्षेत्र, क्या मत-पंथ, क्या संप्रदाय, क्या बच्चा, क्या बूढ़ा, क्या जवान, सारी बाधाओं को तोड़कर इसने संपूर्ण विश्व को एक-एक कर घर-घर को जोड़ दिया.
इसके माध्यम से विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं ने समाज के साथ मिल कर 22 जनवरी 2024 को सामूहिक रूप से मंदिरों में आने के लिए निमंत्रित किया. विश्व इतिहास में ऐसा कोई अभियान किसी ने भी नहीं लिया, जिसमें विश्व भर के नर-नारी, बच्चे, बूढ़े, जवान सभी को एक साथ एक कार्यक्रम के लिए निमंत्रित किया हो और वह भी, सभी के पूर्वज और आराध्य देव भगवान श्री राम से जुड़ा हुआ कोई प्रसंग हो. हमारे इस अभियान के अंतर्गत लाखों कार्यकर्ताओं ने एक-एक घर, एक-एक दुकान, एक-एक संस्थान और एक-एक मंदिर, मठ, गुरुद्वारा सहित कोई धार्मिक स्थल नहीं छोड़ा. जिन घरों में हम गए उन गृह स्वामियों ने, गृहिणियों ने, बच्चों ने, स्वागत सत्कार के साथ निमंत्रण को स्वीकार किया. कुछ स्थानों पर पहुंचने में जब थोड़ा बहुत विलंब हुआ तो लोगों ने फोन करके पता कर उत्सुकता व्यक्त की. जो हमें नहीं जानते थे, उन्होंने भी हमें बुलाया. देश के बड़े शिक्षा संस्थान, शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ, और नौकरशाहों के साथ बड़े व्यवसायी और उद्योगपतियों ने भी तन्मयता के साथ इस अक्षत निमंत्रण अभियान में न सिर्फ सहयोग दिया, अपितु आग्रह पूर्वक अपने-अपने संस्थानों में बड़े-बड़े कार्यक्रम भी रखे. जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय प्रांगण में कुलपति महोदय को विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार जी के साथ निमंत्रण देने पहुंचे तो वहां विश्वविद्यालय के दर्जनों वरिष्ठ पदाधिकारी, डीन, प्रॉक्टर, रजिस्ट्रार, अनेक कॉलेजों के प्राचार्य, प्राध्यापक, सुरक्षा कर्मी, डूटा व डूसू के अध्यक्ष और वरिष्ठ विद्यार्थियों को भी पहले से बुला लिया था. उनके लिए उत्सव की तरह अलाव जलाकर, जलपान की भी सुंदर व्यवस्था की थी. भव्य स्वागत किया गया. ऐसे ही जब वह कार्यक्रम करके लौटे तो दूसरे दिन गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति ने स्वयं फोन करके कहा कि क्या हमारे विश्वविद्यालय में नहीं आएंगे! हम तुरंत दूसरे दिन उनके विश्वविद्यालय में भी पहुंचे. बड़े ही भावपूर्ण ढंग से भव्य और दिव्य कार्यक्रम किया. जब डीयू की प्रोफेसर्स कॉलोनी में जा रहे थे, वहां पर अलग-अलग मत पंथ जाति भाषा के लोग मिले. जैसे सम्पूर्ण भारत वहां बसता हो. तमिल, तेलुगू, मलयालम, डोगरी जैसी अनेक भाषाओं के जानने व बोलने वाले वरिष्ठ प्रोफेसर थे, आचार्य थे, प्राचार्य थे, उन्होंने हृदय से वह अक्षत निमंत्रण प्राप्त किया. प्रात:काल कड़कड़ाती ठंड में एक प्रोफेसर जिनकी गोद में सुंदर बच्चा था, उनकी पत्नी हमारे ऊपर पुष्प वर्षा कर रही थीं और वे बच्चे को गोद में लिए ही आलोक जी को शॉल ओढ़ाकर घर के बाहर स्वागत कर रहे थे. यह दृश्य उनका दूसरा नन्हा सा बालक भी मजे से देख रहा था और जब जयश्रीराम का जयकारा लगा तो मुदित मन से उसने भी अपनी भुजा उठा कर हमारा साथ दिया.
जब यह अक्षत निमंत्रण लेकर हम सेवा बस्तियों (झुग्गी बस्ती) में पहुंचे तो वहां का उत्साह तो और भी ज़बरदस्त था. बस्ती के प्रमुख महिलाएं, पुरुष और छोटे-छोटे बच्चे हमारे साथ हो लिए. जय श्री राम के नारों से संपूर्ण बस्ती गूंजायमान होने लगी. लोग ऐसे बोलने लगे कि आज वास्तव में हमारे घर भगवान आए हैं. ‘हमने कल्पना नहीं की थी कि कोई अयोध्या से भी हमारे पास भगवान कुछ भेजेंगे और हम जैसे लोग भी अयोध्या के उस अनुपम क्षण के लिए निमंत्रित किया जाएंगे’ ऐसा उन्होंने कहा.
मैं झारखंड गया तो वहां एक पूज्य संत के दर्शन कर उनको अयोध्या के निमंत्रण के पश्चात वहां की बस्ती में अक्षत निमंत्रण देने पहुंचा. वहां एक जगह पर भवन निर्माण कर रहे मजदूरों को जब वह पूजित अक्षत दिए, उनके मनोभावों को मैं यहां प्रकट भी नहीं कर सकता. ऐसे ही हम वहां आसपास की चाय की थड़ी हो, या सब्जी का ठेला, या परचून की दुकान, सभी ने आत्मवत हो कर अक्षत को माथे से लगाकर लिया. एक जगह जब कुछ मजदूर भवन की नींव खोद रहे थे, उनको 1 मिनट के लिए रोक करके हमने जय श्री राम का नारा लगाया और उन्हें अक्षत दिए तो उनकी खुशी का ठिकाना ना था. सभी के हाथ में कुदाल थी. उन्हें जब बताया गया कि यह अयोध्या जी से पूजित अक्षत आपको निमंत्रित करने आए हैं, तो उन्होंने कहा कि भाई साहब अभी हमारे हाथ खराब है, हाथ धोने दो, तब हम इनको ग्रहण करेंगे. बड़ी श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए उन्होंने अक्षत लिए.
जब हम जमशेदपुर के एक बहुमंजिला परिसर में पहुंचे और सबसे पहले निमंत्रण उसके सिक्योरिटी गार्ड को दिया, वह आश्चर्यचकित था. बोला, साहब, यहां कॉलोनी में निमंत्रण देने के लिए या कॉलोनी वासियों को निमंत्रण देने के लिए तो रोजाना कोई न कोई आता ही है, लेकिन आपने इस कॉलोनी के सुरक्षाकर्मी को निमंत्रण देने का काम मेरे जीवन में पहली बार किया है. मैं कृतज्ञ हो गया. राम जी ने मेरे ऊपर असीम कृपा की है. आप हमें बताइए क्या करना है! तो हमने कहा कि आपके इस क्षेत्र का प्रधान कौन है! उन्होंने तुरंत उनको बुलाया, उनको हमने निमंत्रित किया. उसके बाद में हमने कहा कि यहां कितने फ्लैट्स है! बोले 177. वह बोले कि आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, मुझे इतनी पैकेट बनाकर दे दीजिए, आज ही शाम को एक बैठक है हमारी, उसमें सबको बटवा दूंगा. हमने कहा बहुत धन्यवाद आपका इसके लिए. लेकिन हम अकेले पैकेट नहीं देंगे, कोई ना कोई राम भक्त भी आपके साथ में होगा और साथ में मिलकर के बटवाएं तो अच्छा रहेगा. उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया. ऐसे ही दिल्ली के चांदनी चौक में जब हम अक्षत निमंत्रण लेकर पहुंचे तो वहां के व्यापार मंडल के प्रतिनिधि बोले आप घर-घर तो चले जाओगे, हमारे व्यापारियों के निमंत्रण का क्या होगा! हम चाहते हैं कि आप हमें निमंत्रण हेतु अक्षत और सामग्री दे दीजिए. हम एक बैठक बुलाते हैं उसमें आप भी आइए और आपकी तरफ से वितरण का शेष काम हम स्वयं करेंगे.
चाहे भारत का मुकुट कश्मीर हो या कन्याकुमारी, चाहे नॉर्थ ईस्ट के बंधु – भगिनी हों या गुजरात और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा के राम भक्त अथवा विश्व के लगभग 100 देश में रहने वाले हिन्दू समाज के लोग, सभी ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लिया. 5 नवंबर, 2023 को अयोध्या में पूजित अक्षत लगभग 51 कलशों में भरकर, जैसे अयोध्या से निकला, चहुं ओर आशा का संचार हुआ. हर प्रांत – विभाग – जिला – प्रखंड – खंड- उपखंड – बस्ती – कॉलोनी और एक एक गली के साथ एक-एक घर में पहुंचे. 15 दिन के मात्र छोटे से इस कालखंड में 10 करोड़ से अधिक परिवारों के 50 करोड़ से अधिक लोगों से हमने संपर्क किया और साथ ही साथ 5 लाख मंदिरों में 22 तारीख के महोत्सव को भव्यता व दिव्यता के साथ मनाने के लिए तैयार किया. यह अभियान विश्व का सबसे बड़ा अनुपम, अद्वितीय और अप्रतिम निमंत्रण अभियान बन गया. विश्व इतिहास में कोई ऐसी घटना या कोई ऐसा दृष्टांत नहीं मिलता, जहां मात्र 15 दिन में 50 करोड़ लोगों को घर-घर जाकर एक कार्यक्रम के लिए किसी ने कभी निमंत्रित किया हो.
जय श्री राम!!