नई दिल्ली. अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हॉल में नवनिर्वाचित जनजातीय सांसद स्नेह मिलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया.
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी की दूरदर्शिता की सराहना करते हुए अलग से जनजातीय कार्य मंत्रालय के गठन का श्रेय दिया. उन्होंने द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने को समस्त जनजातीय समाज के लिए गर्व की बात बताया. उन्होंने सीमित सरकारी नौकरी का हवाला देते हुए जनजातीय समाज से आने वाले युवाओं को कौशल आधारित शिक्षा से जोड़कर रोजगार देने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने समाज में कौशल विकास को बढ़ावा देने पर बल दिया.
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने कहा कि विकास के साथ-साथ जनजाति समाज के जीवन मूल्यों, आस्था और परंपराओं को महत्व मिलना चाहिए. जनजाति समाज प्रकृति से उतना ही लेता है, जितना भंवरे फूलों से मधु ले लेते हैं. जनजाति समाज को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वनाधिकार मिलने के लिए सभी को प्रयत्न करना चाहिए. आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर हम सभी को समुचित विचार करने की आवश्यकता है. उन्होंने विश्व आदिवासी दिवस को एक अंतरराष्ट्रीय षड़यंत्र बताते हुए कहा कि यह भारतीय समाज और उसकी सह-अस्तित्व की भावना को क्षति पहुंचाने का प्रयास है. राष्ट्रीय सुरक्षा एवं संप्रभुता के लिए वह खतरा है.
पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा ने उपस्थित सांसदों से कहा कि समाज को साथ लेकर चलना चाहिए. चुनकर आने पर उनको भूलना नहीं चाहिए. युवाओं की शिक्षा और उनके कौशल विकास के लिए सभी सांसदों ने अपने अपने क्षेत्र में कार्य करने की आवश्यकता, सरकारी योजनाओं की जानकारी अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों तक पहुंचाना चाहिए. जनसम्पर्क टूटना नहीं चाहिए. लोगों का विश्वास सम्पर्क एवं संवाद से ही संभव है. कार्यकर्ताओं का विश्वास बनाये रखने की अत्यंत आवश्यकता है.