करंट टॉपिक्स

लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन को आत्मसात भी करें – डॉ. निवेदिता शर्मा

Spread the love

ग्वालियर. मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने कहा कि भगवान शिव की अनन्य भक्त लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर कुशल शासक, न्यायप्रिय, कूटनीतिज्ञ, परमार्थी व सैन्य प्रतिभा की धनी थीं. जिस तरह भरत ने प्रभु श्रीराम की पादुका को सिंहासन पर विराजित कर अयोध्या पर शासन किया, उसी तरह अहिल्याबाई राजाज्ञाओं पर अपने हस्ताक्षर नहीं करती थीं. बल्कि श्री शंकर आज्ञा लिखा करती थीं. मुद्रा पर भी शिवलिंग, बेलपत्र और नंदी अंकित रहते थे. उनका मानना था कि सत्ता और संपत्ति मेरी नहीं जो कुछ भी है भगवान का है. हम प्रजा वत्सल अहिल्याबाई के जीवन को पढ़ें या जाने ही नहीं, बल्कि उसे आत्मसात करें.

डॉ. निवेदिता राष्ट्रोत्थान न्यास के विवेकांनद सभागार में आयोजित पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के शुभारंभ समारोह में संबोधित कर रही थीं. ग्वालियर महानगर आयोजन समिति के तत्वाधान में आयोजित समारोह की विशिष्ट अतिथि मध्यभारत प्रांत आयोजन समिति की उपाध्यक्ष डॉ. प्रियंवदा भसीन थीं. अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईएएस उपेंद्र शर्मा ने की.

मुख्य वक्ता डॉ. निवेदिता शर्मा ने कहा कि अहिल्याबाई के 300वें जयंती वर्ष में कार्यक्रम आयोजित कर उनके व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर प्रकाश डाला जाएगा. जिस तरह आद्य शंकराचार्य ने देश के चारों दिशाओं में मठ स्थापित कर सनातन धर्म को बढ़ावा देकर लोगों को एकसूत्र में पिरोया था, उसी तरह अहिल्याबाई ने भी देश में मंदिरों का निर्माण और जीर्णोद्धार करवाया. धर्मशालाओं, घाट, बावड़ियों, का निर्माण करवाया. यही नहीं न्याय की व्यवस्था उन्होंने गांव और तहसील स्तर तक उपलब्ध कराई. महिला सशक्तिकरण, सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के साथ ही और दीन दुखियों की मदद को हर समय तत्पर रहती थीं.

अतिथियों का स्वागत डॉ. पवन पाठक, अंजलि बत्रा, मानवता साहू ने किया. कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. रामकिशोर उपाध्याय ने रखी. कार्यक्रम का संचालन संजय कौरव एवं आभार अनामिका अग्रवाल ने व्यक्त किया. इस अवसर पर पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष आयोजन समिति के प्रांत संरक्षक सुरेंद्र मिश्रा, प्रतिभा चतुर्वेदी, सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे.

निष्काम भक्ति से आई दिव्यता

कार्यक्रम के अध्यक्ष उपेंद्र शर्मा ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन में निष्काम भक्ति से दिव्यता आई थी. अहिल्याबाई का बचपन बहुत गरीबी में बीता था. इसलिए वह विनम्र और परमार्थी थीं. उनके पिता भी धर्मनिष्ठ थे. इसलिए अहिल्याबाई के जीवन में सत्वगुण की प्रधानता रही.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *