श्रीराम जी आरावकर
और आज प्रभाकर जी भी चले गए. प्रभाकर जी यानि प्रभाकर जी केळकर
वे सदैव मुझसे दो कदम आगे ही चलते रहे.
शिशु मंदिर का क-ख-ग मैंने प्रभाकर जी से ही सीखा. वर्ष 1974 में जब मैंने सरस्वती शिशु मंदिर शिवाजी नगर भोपाल में आचार्य के रूप में कार्य प्रारंभ किया, तब वे वहां पाली प्रमुख का दायित्व निर्वहन कर रहे थे. उसी वर्ष कानपुर में उन्होंने और अरुण कुलकर्णी जी ने संघ शिक्षा वर्ग द्वितीय वर्ष और मैंने, विलास जी गोळे तथा भोपाल विभाग से 3 अन्य बन्धुओं ने प्रथम वर्ष का शिक्षण किया.
आपातकाल में उन्हें, सत्यनारायण जी तथा उनके छोटे भाई शिव नारायण शर्मा, प्रदीप खाण्डेकर आदि को गिरफ्तार किया और बाद में मैं अरुण कुलकर्णी, अभय देव, लालचंद जी दांदवानी, बहन सविता वाजपेयी जी (कुल 11 कार्यकर्ता) के साथ सत्याग्रह कर जेल गए. जेल से छूटने के पश्चात साथ-साथ ही प्रचारक निकले. बाद में जब मैं धार जिला प्रचारक बना तो पहले वर्ष अण्णाजी मुकादम तथा दूसरे वर्ष प्रभाकर जी हमारे (मंदसौर) विभाग प्रचारक रहे. उसके बाद धार स्वतंत्र विभाग बना. मेरा केन्द्र दिल्ली बने उसके पूर्व ही किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री व बाद में महामंत्री के रूप में दिल्ली रहे.
इस प्रकार वे सदैव ही मेरा मार्गदर्शन करते रहे. प्रसन्न व उत्साही व्यक्तित्व, सुमधुर परंतु घन-गंभीर स्वर, उत्कृष्ट खिलाड़ी, जीवन की पवित्रता, सहजता व सरलता, कुशल नेतृत्व कुल मिलाकर एक सर्वांगीण व्यक्तित्व यानि प्रभाकर केळकर. एक सर्वांगीण विकसित पुष्प जो आज भारत माता के चरणों मे पूर्णतः विसर्जित हो गया. अब शेष रहेंगी केवल और केवल उनकी प्रेरणादायक स्मृतियां.
परमघन परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ कि वह दिवंगतात्मा को शांति व सद्गति तथा उनके परिजनों व सभी सहयोगियों व मित्रजनों को इस दु:ख को सहने करने का धैर्य भी प्रदान करे.