नई दिल्ली/जम्मू कश्मीर.
जम्मू कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बार फिर बड़ा कदम उठाया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) पर प्रतिबंध लगाने के बाद एक अन्य अलगाववादी संगठन के खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई की है. केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठन “तहरीक-ए-हुर्रियत पर रविवार को प्रतिबंध लगा दिया. गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी. उन्होंने लिखा – जम्मू कश्मीर के तहरीक-ए-हुर्रियत संगठन को ग़ैर क़ानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है.
गृह मंत्रालय ने बताया कि यह अलगाववादी संगठन जम्मू कश्मीर में देश विरोधी कृत्यों और ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों में संलिप्त था. संगठन जम्मू कश्मीर में इस्लामिक शासन को स्थापित करना चाहता था. अलगाववादी संगठन का गठन भारत विरोधी प्रॉपेगंडा फैलाने व जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि संगठन को ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों में संलिप्त पाये जाने के बाद प्रतिबंध लगाया गया है. उन्होंने लिखा कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कोई भी व्यक्ति या संगठन अगर देश विरोधी कृत्यों में शामिल पाया गया तो उसे नेस्तोनाबूत कर दिया जाएगा.
तहरीक-ए-हुर्रियत किसने शुरू किया?
जम्मू कश्मीर में अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी ने वर्ष 2004 में तहरीक-ए-हुर्रियत नामक संस्था का गठन किया था. संगठन का उद्देश्य घाटी में लोगों को इस्लाम के प्रति जागरूक और भ्रांतियाँ फैलाने तथा भारत विरोधी साज़िशों के लिए उकसाना था. संगठन जम्मू कश्मीर के लोगों को भड़का कर वहाँ इस्लामिक शासन लागू करना चाहता था. इसके अलावा जम्मू कश्मीर की शांति में व्यवधान उत्पन्न करने के लिए हर तरह से अतंकवाद को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम करता था.
सैयद अली शाह गिलानी के बाद तहरीक-ए-हुर्रियत नामक संगठन का अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ़ सेहराई था. जिसका वर्ष 2021 में इंतक़ाल हो गया. यह हुर्रियत कांफ्रेंस का सहयोगी संगठन है. दरअसल हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस जम्मू कश्मीर के 26 संगठनों का एक समूह है. इसका गठन 1993 में किया गया था. संगठन के भीतर कई ऐसे संगठन शामिल हैं, जिन्हें पाकिस्तान समर्थक और अलगाववादी समर्थक माना जाता है. अपने आकाओं के इशारों पर ये हमेशा भारत की शांति व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न करने की फ़िराक़ में रहते हैं. हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस में शामिल संगठनों में जमात-ए-इलामी- JKLF और दुख़तरान-ए-मिल्लत कॉन्फ़्रेंस जैसे संगठन शामिल हैं. सभी मिलकर भारत विरोधी साज़िशें रचने का काम करते आ रहे हैं. अब जब इनकी कुंडली खुलनी शुरू हो गई तो इनके ख़िलाफ़ लगातार कार्रवाई हो रही है. तहरीक-ए-हुर्रियत के ख़िलाफ़ हुई यह कार्रवाई भी उसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.