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अपमान को कंठ में ही रोककर वाणी से समता-समरसता-बंधुता का अमृत उडेलने वाले थे बाबा साहब

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कोटपूतली. भर्तृहरि विचार मंच द्वारा डॉ. आंबेडकर जयंती पर प्रबुद्ध जन विचार गोष्ठी का आयोजन बसंत प्रभु आदर्श विद्या मंदिर के सभागार में किया गया. मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत प्रचारक बाबूलाल ने कहा कि बाबासाहब ने समाज के वंचित वर्ग को शिक्षित व सशक्त किया. हमें न्याय व समता पर आधारित एक ऐसा प्रगतिशील संविधान दिया, जिसने देश को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया. बाबा साहब का विराट जीवन व विचार हमारे प्रेरणा का केंद्र है. अस्पृश्यता के सैकड़ों मर्मान्तक अनुभवों के बाद भी अपने अपमान को कंठ में ही रोककर वाणी से समता-समरसता- बंधुता का ही अमृत बाबा साहब ने दिया. अपने जीवन के अंतिम अध्याय तक बाबा साहब समाज को सुधारने का तर्क शुद्ध आंदोलन चलाते रहे. डॉक्टर अंबेडकर ने संविधान सभा में अंतिम भाषण में कहा कि लोकतंत्र की सफलता की पहली शर्त है कि समाज में किसी प्रकार की असमानता नहीं होनी चाहिए. कोई शोषित वर्ग न हो. इस तरह का वर्गभेद हिंसक क्रांति को जन्म देता है. और लोकतंत्र भी उसका उपचार नहीं कर सकता. कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ फिजीशियन डॉक्टर रतिराम यादव ने कहा कि बाबा साहब केवल संविधान शिल्पी ही नहीं थे, बल्कि वह सामाजिक न्याय के प्रणेता, अद्वितीय विधिवेत्ता, महान अर्थशास्त्री, विचारक, दार्शनिक व चिंतनशील महापुरुष थे. जिन्होंने अपने अंतिम समय तक समाज को सुधारने का कार्य किया. सेवानिवृत्त प्राध्यापक बलबीर यादव ने कहा कि बाबा साहब का जीवन सभी के लिए प्रेरणादायी है. उन्होंने अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से समाज को नया मार्ग दिखाया. एडवोकेट सुबेसिंह मोरोडिया ने भी बाबा साहब की जीवनी को विस्तार पूर्वक बताया. मंच के संयोजक पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी उमराव लाल वर्मा ने सभी आगंतुकों का आभार प्रकट किया. इस मौके पर समाज के कई प्रबुद्धजन उपस्थित थे.

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