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बंजारा समुदाय की जड़ें सनातन हिन्दू धर्म में ही हैं – मुरारी बापू

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जामनेर. पू. मुरारी बापू ने शुक्रवार को कहा कि बंजारा समुदाय की जड़ें सनातन हिन्दू धर्म में ही हैं. अखिल भारतीय हिन्दू गोर बंजारा व लबाना नायकड़ा समाज कुंभ के तीसरे दिन धर्मसभा में संबोधित कर रहे थे. पूज्य रामप्रसाद जी, वेदशास्त्री साहेबराव शास्त्री जी, पू. संग्राम सिंह जी महाराज, श्री. धनसिंह नायक जी (तेलंगाना), पू. सिद्धलिंग जी महाराज, पू. बाबूसिंह जी महाराज, पूज्य शाम चैतन्य जी महाराज, स्वामी अभयानंद जी महाराज, स्वामी प्रणवानंद जी महाराज, पू .गोपाल चैतन्य जी महाराज और पू . रघुमुनि जी महाराज मंच पर उपस्थित थे.

मुरारी बापू ने अपने उपदेश में कहा कि सनातन मूल्यों को जकड़कर रखें. सनातन धर्म की सेवा करें. सनातन धर्म नष्ट होने वाला नहीं है. जिस तरह हमारे घर छोड़कर जाने के बाद धूल बढ़ती है, उसी तरह वेद, गीता, उपनिषद व गुरुग्रंथ साहेब जैसे ग्रंथों से दूर जाने के कारण हिन्दुओं का धर्मांतरण बढ़ गया है. बंजारा समुदाय हिन्दू ही है. राम का आदर्श रखते हुए हम जग को जोड़ सकते हैं. प्रलोभन और लालच से दूर रहकर हमें अपने सनातन धर्म का आचरण करना चाहिए.

वेदशास्त्री साहेबराव शास्त्री जी ने कहा कि वैदिक सनातन धर्म अनादि है और गोर बंजारा समुदाय हिन्दू धर्म की प्रमुख शाखा है. बंजारा गोरक्षक, गोसेवक और गोपालक हैं. शास्त्रों में उल्लेखित युद्धवीर, दयावीर, धर्मवीर और दानवीर सभी गोर बंजारा समाज में हैं. संत धर्मवीर होते हैं. यह कुंभ विचारों का धन लेने के लिए है क्योंकि विचारों से परिवर्तन होता है. सनातन धर्म उपासना और आचरण का धर्म है. हम हिन्दू थे, हिन्दू हैं और हिन्दू ही रहेंगे.

संग्रामसिंह जी महाराज ने कहा कि धर्म सर्वव्यापी है. बंजारा यानि सनातन हिन्दू. धनसिंह जी ने कहा कि भूतकाल में हिन्दू धर्म बचाने के लिए कट गये. आज धर्म टूट रहा है, इसलिए धर्म को मत छोड़ें.

बाबूसिंह जी महाराज ने कहा कि समाज को जागृत करने के लिए कुंभ है. हमारा वशिष्ठ मुनि से पुरातन नाता है. राम जन्मभूमि पर भव्य कार्यक्रम होने वाला है. अब १४ करोड़ बंजारों को एक साथ आना होगा. गोर बंजारा हिन्दू ही हैं. कर्नाटक से आए सिद्धलिंग जी महाराज ने भी इस अवसर पर मार्गदर्शन किया.

स्वामी प्रणवानंद जी ने कहा कि गोद्री का कुंभ हिन्दू गोर बंजारा समाज का कुंभ है. जातियां कई हैं, लेकिन धर्म एक ही है. सनातन हिन्दू धर्म के सभी लक्षण धर्म में होते हैं, लेकिन जातियों में नहीं होते. १४०० वर्षों पूर्व इस्लाम आया और २००० वर्षों पूर्व ईसाई धर्म आया, ये दोनों धर्म सनातन नहीं हैं. “हम क्षत्रिय हैं, हम रघुवंशी हैं”. इस तरह से जातियों में विभाजित होकर हम धर्म की संवेदना भूल जाते हैं. हमें गीता पढ़नी चाहिए, हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए. धर्मग्रंथों को पढ़कर जीवन में धर्म का आचरण करें. हजारो वर्षों से आप हिन्दू हैं. बंजारा समुदाय हिन्दू धर्म का अविभाज्य अंग है. जातिवाद धर्म को कमजोर बनाता है. हमारे पूर्वज धर्म की रक्षा के लिए लड़े. भारत में ईसाईकरण हो रहा है. गांव-गांव में चर्च बन रहे हैं. अगर हम सचेत नहीं बने तो दे हो जाएगी.

महाराष्ट्र, कर्नाटक व तेलंगाना में भी धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हो – धर्मसभा में प्रस्ताव पारित

संत शाम चैतन्य जी महाराज ने धर्मसभा में दूसरा प्रस्ताव रखा. जिसमें कहा गया है कि स्वतंत्रता के बाद ७५ वर्षों में ईसाईयों की संख्या १० गुना बढ़ी है और इसके लिए धर्मांतरण ही कारण है. बंजारा समुदाय प्राचीन काल से ही सनातन और हिन्दू समाज का रक्षक है. ईसाई धर्मांतरण के द्रुष्टचक्र का यह समुदाय शिकार हो रहा है. ५ राज्यों में ११ हजार तांडों में से ३५०० तांडों में चर्च दिख रहे हैं. कर्नाटक और मध्यप्रदेश सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया है. ऐसा कानून महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना राज्यों में भी तुरंत लागू करना चाहिए. यह प्रस्ताव एकमत से स्वीकृत किया गया.

रघुमुनि जी महाराज ने कहा कि समाज को जोड़ने के लिए यह कुंभ है. बंजारा समाज हिन्दू और सनातन थे और रहेंगे.

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