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आर्थिकी का आधार

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प्रमोद भार्गव

भारत में मुख्यधारा की पत्रकारिता धर्म आधारित पत्रकारिता के सामाजिक सरोकारों से लगभग दूर ही रही है. संवैधानिक पदों पर बैठे नेता मंदिरों में जाने, पूजा-पाठ के सार्वजनिक प्रदर्शन से बचते रहे हैं. अनेक सत्ताधारी दलों के नेता तांत्रिक पीठों के दर्शन करने और तांत्रिक अनुष्ठान भी कराते रहे हैं. इंदिरा गांधी दतिया की पीतांबरा पीठ जाती रहीं तो पीवी नरसिंह राव अपने आध्यात्मिक एवं तांत्रिक गुरु चंद्रास्वामी से तांत्रिक अनुष्ठान कराने को लेकर चर्चाओं में रहे. वामपंथी वैचारिकता से जुड़ा मीडिया इसे अंधविश्वास फ़ैलाने का कारण मानता रहा. लेकिन यही मीडिया मस्जिदों और चर्चों से जुड़े अंधविश्वास को खबर बनाने से बचता रहा है.

लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से धर्म के क्षेत्र से जुड़ी खबरों में बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है. राम जन्मभूमि मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि, वाराणसी का ज्ञानवापी परिसर और धार की भोजशाला से मामलों में अब यही मीडिया तर्क सम्मत इतिहास सामने ला रहा है. पुरातत्व विभाग द्वारा किए सर्वेक्षणों को मान्यता मिल रही है. अब प्रधानमंत्री केदारनाथ मंदिर के निकट गुफा में तपस्या करते हैं, राम जन्मभूमि मंदिर और यूएई के आबूधाबी में बने स्वामीनारायण मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करते हैं तो भारत का मीडिया ही नहीं, अंग्रेजी सहित दुनिया का अन्य बहुभाषी मीडिया लाइव प्रसारण करता है. घंटों खबर चलाता है. मंदिरों का इतिहास खंगालते हुए वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व का आदरपूर्वक बखान करता है. मीडिया की भी देन है कि अयोध्या में रामलला के दर्शन को लाखों लोग रोजाना पहुँच रहे हैं. अतःएव इरफ़ान हबीब जैसे इतिहासकारों को कहना पड़ा है कि सैकड़ों मंदिर तोड़कर, उन्हीं के अवशेषों से मस्जिदें बनाई गई हैं. इस सत्य को कथित वामपंथी इतिहासकार पहले ही उद्घाटित कर देते तो हिन्दू और मुसलमानों के बीच कटुता के भाव पनपते ही नहीं.

आज जो काम मीडिया कर रहा है, वही काम पांच सौ साल पहले जब अयोध्या में धर्मांध आक्रांता राम मंदिर ध्वस्त कर रहे थे, तब तुलसी और सूरदास राम एवं कृष्ण की लीलाओं का चरित्र हिंदी की सहायक भाषाओं बृज, अवधि और भोजपुरी में रच रहे थे. जिससे हमलावरों के हमलों से आहत जनमानस जागरूक हो और अपनी सनातन सांस्कृतिक अस्मिता तथा देश की संप्रभुता के लिए बलिदानी भाव-बोध से जूझ जाए. निहत्था भक्त इसी थाती के बूते इस्लाम की तलवार और फिरंगियों की तोपों से पूरे पांच सौ साल युद्धरत दिखाई देता रहा. इसी युद्धरत आम भारतीय ने हमें 15 अगस्त, 1947 को स्वाधीनता दिलाई. तत्पश्चात भी वामपंथी वैचारिकी कुछ इस तरह गढ़ी जाती रही कि हम अपनी ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत पर प्रश्नचिन्ह उठाने लग गए? मनमोहन सिंह सरकार ने राम और रामसेतु के अस्तित्व को ही झुठलाने तक का काम कर दिया था.

धार्मिक पर्यटन

उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार, बीते वर्ष 2.39 करोड़, यानी प्रतिदिन करीब 70 हजार तीर्थयात्री अयोध्या नगरी में पहुंचे. यात्रियों की यह आमद 2022 की तुलना में सौ गुना अधिक रही. ऐसा अनुमान है कि भगवान राम के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अब अयोध्या देश का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल हो जाएगा. यहां प्रतिवर्ष दस करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है. इसी तर्ज पर सोमनाथ, वाराणसी, उज्जैन और केदारनाथ के मंदिरों में गलियारों का विस्तार हो गया है. इन तीर्थों के आधुनिक एवं सुविधानक हो जाने से पर्यटन का आकार बढ़ गया है. भारत में फिलहाल पर्यटन से जुड़ी जीडीपी का योगदान 5 से 6 प्रतिशत है, इसमें धार्मिक पर्यटन का हिस्सा अब तक आधा रहता है, जो अब निरंतर उछाल मार रहा है. मीडिया ने जो राममय सकारात्मक वातावरण रचा है, उससे भी देश में धार्मिक पर्यटन लगातार बढ़ रहा है.

समुद्र में श्री कृष्ण की द्वारका के दर्शन

हजारों साल पहले समुद्र में डूब चुकी भगवान श्री कृष्ण की द्वारका के दर्शन पनडुब्बी से कराए जाने की तैयारी हो रही है. गुजरात सरकार श्रीमद्भागवत कथा और महाभारत में उल्लेखित द्वारका दर्शन के लिए अरब सागर में यात्री पनडुब्बी चलाने का अनूठा कार्य करने जा रही है. मझगांव डॉक शिपयार्ड के साथ गुजरात सरकार का एमओयू हो चुका है. इस पनडुब्बी का संचालन मझगांव डॉक करेगा. यात्रा का आरंभ इसी साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या दीपावली तक हो सकता है. यह पनडुब्बी समुद्र में तीन सौ फीट गहरे तक जाएगी. इतिहास और पुरातत्व के अवशेषों से जुड़ी रोमांचक यात्रा में प्राचीन द्वारका तक पहुंचने में दो-तीन घंटे लगेंगे. यात्रा का किराया अधिक होगा, लेकिन आम आदमी के लिए सरकार छूट देगी.

35 टन वजनी यह पनडुब्बी वातानुकूलित होगी. दो कतारों में 24 यात्रियों के बैठने की सुविधा रहेगी. चिकित्सा किट साथ रहेगी. पनडुब्बी चलाने के लिए दो चालक, दो गोताखोर, एक मार्गदर्शन और तकनीशियन साथ रहेंगे. यात्रियों को ऑक्सीजन मास्क, फेस मास्क और स्कूबा ड्रेस संचालन करने वाली एजेंसी देगी. पनडुब्बी में प्राकृतिक उजाले का प्रबंध होगा. संचार और वीडियो वार्तालाप की सुविधाएं होंगी. पनडुब्बी में बैठे हुए स्क्रीन पर भीतर की हलचल और जीव-जंतुओं को देख व रिकॉर्ड कर सकेंगे. इस देवभूमि गलियारे के तहत बेट द्वारका समुद्री टापू को दुनिया के मानचित्र पर लाने की दृष्टि से सरकार सिग्नेचर पुल का निर्माण कर रही है. 900 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन यह पुल 2320 मीटर लंबा होगा.

अमेरिका भी हो रहा है मंदिरमय

भारत में ही नहीं अमेरिका में भी भारतवंशियों के लिए स्वार्णिम भक्ति-युग चल रहा है. 2016 में यहां 250 मंदिर थे, जो अब बढ़कर 750 हो गए हैं. अर्थात अमेरिका के प्रत्येक राज्य में करीब 12 मंदिर हैं. सर्वाधिक कैलिफोर्निया में 120, न्यूयॉर्क में 100, फ्लोरिडा में 60 और जॉर्जिया में 30 मंदिर हैं. भारत के बाहर न्यूजर्सी में सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर 800 करोड़ रुपये की लागत से बना है. ‘अक्षरधाम‘ नामक इस मंदिर का परिसर 183 एकड़ में विस्तृत है. स्वामीनारायण संस्था ने मंदिर का निर्माण किया है. 12 वर्षों में बने मंदिर में 10 हजार मूर्तियां, दीवारों और खंभों पर उत्कीर्ण हैं. मंदिर के निर्माण हेतु सामग्री भारत, ग्रीस, बुल्गारिया, इटली और तुर्किये से लाइ गई है. ऐसा ही एक शिव-विष्णु का मंदिर मैरीलैंड में बना है. न्यूजर्सी का मंदिर कंबोडिया के अंगकोरवाट के बाद क्षेत्रफल में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है. यह मंदिर बारहवीं सदी में बना था, जो आज भी अपने मूल स्वरूप में सुरक्षित है.

धार्मिक पर्यटन की आर्थिकी

अर्थशास्त्री संभावना जता रहे हैं. कि अयोध्या में प्रभु श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही देश का धार्मिक पर्यटन एक लाख करोड़ से ऊपर जाएगा. यह 10 से 15 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रहा है. मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और श्री कृष्ण की महिमा नैतिकता के प्रतिमान और मानवता के उत्कृष्ट आदर्श से तो जुड़ी ही है, अब बड़ी आर्थिकी का भी आधार बन रही है.

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