नई दिल्ली. 13 सितंबर, 2008 को दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट के बाद बाटला हाउस एनकाउंटर से जुड़े केस में दिल्ली की एक अदालत ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आरिज खान को दोषी करार दिया है. अदालत ने दिल्ली पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को सही माना और आतंकी आरिज खान को दोषी करार दिया. दोषी आरिज को 15 मार्च को सजा सुनाई जाएगी. बाटला हाउस एनकांटर को फर्जी बताकर कांग्रेस और अन्य दल राजनीति करते रहे हैं. अदालत के फैसले से उनके दिलों पर कठोराघात हुआ होगा.
बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा बलिदान हुए थे. वहीं स्वार्थ की राजनीति करने वालों ने इसे मुद्दा बनाया दिया था. तमाम सेकुलर दलों ने इसे फर्जी मुठभेड़ करार दिया था.
ममता बनर्जी ने 17 अक्तूबर, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर में एक सभा को संबोधित करते हुए बाटला हाउस के एनकाउंटर को फर्जी बताया था. ममता तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष थीं और पश्चिम बंगाल में वाम दलों की सरकार थी. ममता ने जामिया नगर की इस सभा में कहा था – बाटला हाउस का एनकाउंटर एक फेक ऑपरेशन था और अगर वो गलत साबित हुईं तो राजनीति छोड़ देंगी. ममता ने न्यायिक जांच की मांग की थी.
ममता बनर्जी के अलावा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी एनकाउंटर ऑपरेशन पर सवाल उठाए थे. कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में उस वक्त के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा था कि जब उन्होंने एनकाउंटर की तस्वीर सोनिया को दिखाई तो उनकी आंख में आंसू आ गए.
कांग्रेस नेता ने दिग्वजिय सिंह ने तो कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के साथ मिलकर एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के परिजनों से मुलाकात भी की थी.
बाटला हाउस एनकाउंटर की बात करें तो यह 19 सितंबर, 2008 की सुबह हुआ था. तब दिल्ली स्पेशल सेल को एक सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन के कुछ आतंकी बाटला हाउस क्षेत्र के एक मकान में छिपे हुए हैं. इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा आतंकियों को पकड़ने के लिए टीम लेकर बाटला हाउस में बिल्डिंग नंबर एल-18 के फ्लैट नंबर 108 में पहुंचे. उसी वक्त आतंकियों के साथ मुठभेड़ में उन्हें तीन गोलियां लगीं. उपचार के दौरान उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया था. इस दौरान पुलिस ने दो आतंकियों आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद को मौके पर मार गिराया था. जबकि दो आतंकी आरिज खान और शहजाद वहां से फरार होने में सफल रहे. आरिज को स्पेशल सेल ने 2018 में नेपाल बॉर्डर के पास से पकड़ा था.
बटला हाउस एनकाउंटर के तत्काल बाद तमाम सेकुलर दलों ने राजनीति शुरू कर दी. तमाम सेकुलर दलों के नेता उन्हें मासूम बता रहे थे. केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व की सरकार थी. एनकाउंटर होते ही दिग्विजय सिंह ने इसे फर्जी एनकाउंटर बता दिया था. वह लगातार इस मुद्दे पर बोल रहे थे. कांग्रेस के अलावा बसपा और सपा भी फर्जी एनकाउंटर बता रही थी.