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समरस, समृद्ध, निर्दोष और श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए संकल्पित हों – दीपक विस्पुते

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ग्वालियर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य क्षेत्र प्रचारक दीपक जी विस्पुते ने कहा कि जब समाज जागरुक होगा, तभी भारत परम वैभव के शिखर पर स्थापित होगा. उन्होंने आह्वान किया कि समरस, समृद्ध, निर्दोष और श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए संकल्पित हों.

वह रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ग्वालियर विभाग के शारीरिक प्रकट उत्सव कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. महाराणा प्रताप कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी (एमपीसीटी) में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ग्वालियर के सेवानिवृत्त निदेशक डॉ. डीके दुबे थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ग्वालियर विभाग संघचालक विजय गुप्ता भी मंचासीन थे. इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने शारीरिक अभ्यास का प्रदर्शन किया. अतिथियों का परिचय संघ के ग्वालियर विभाग कार्यवाह देवेन्द्र गुर्जर ने दिया.

दीपक विस्पुते जी ने कहा कि देश में एकता नहीं होने की वजह से ही हमारे ऊपर विदेशी आक्रांताओं ने शासन किया था. समाज को संगठित करने का लक्ष्य लेकर ही डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 98 वर्ष पहले की थी. जब तक समाज जागरुक होकर संगठित नहीं होगा, तब तक देश का चहुंमुखी विकास संभव नहीं है. समाज अनुशासन युक्त हो, कदम से कदम मिलाकर चले.. इसी भाव को संघ की शाखाओं द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है. आज प्रसन्नता का विषय है कि देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में अनुकूल वातावरण बना है. लेकिन हमें आत्ममुग्ध नहीं होना है. हमें सतत समाज के लिए कार्यरत रहना है. हनुमान जी को शक्ति का स्मरण करवाने वाले जामवंत की तरह ही हमें भूमिका निभानी चाहिए. हमें अपने हिन्दू और सनातन धर्म के गौरव को याद कर वसुधैव कुटंबकम और सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया को लेकर पूरे विश्व का नेतृत्व करने के लिए अग्रसर होना है.

हमें जागरुक नागरिक बनकर अपनी बस्ती, मोहल्ले और शहर को स्वच्छ रखने में योगदान देना चाहिए. अगर हमारी बस्ती में जल का अपव्यय और दिन में स्ट्रीट लाइट जल रही है तो उसे बंद करवाने का प्रयास करना चाहिए. उन्होंने इंदौर का उदाहरण देते हुए कहा कि बिना समाज के सहयोग के कोई भी शहर स्वच्छ नहीं रह सकता है.

सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के लिए करें काम – डॉ. डीके दुबे

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. दुबे ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि वह सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के लिए काम करें. अगर आप सफल होना चाहते हैं तो अपनी विचार शक्ति को विकसित करें. विचारों की पवित्रता और दोष रहित होने से ही मानवता का कल्याण हो सकेगा. उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य छोटा-बड़ा नहीं होता है. राम सेतु निर्माण में गिलहरी का उद्धरण देते हुए कहा कि हमें भी अपनी शक्ति के अनुसार समाज और देश के विकास में अपना योगदान देना चाहिए.

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