नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल में विस चुनाव नतीजों के बाद हिंसा और बलात्कार की शिकार असहाय महिलाओं ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली है. सामूहिक बलात्कार की शिकार पीड़िताओं के सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचने पर ऐसी डरावनी कहानियाँ सामने आई हैं, जिन्हें सुनकर दिल दहल जाएगा.
पश्चिम बंगाल में मतगणना के बाद से जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. ऐसा कोई दिन नहीं होता जब अराजकता की खबरें न आती हों. इस दौरान अराजक तत्वों ने महिलाओं पर न केवल अत्याचार किए, बल्कि सामूहिक दुष्कर्म जैसी घिनौने कृत्य को अंजाम दिया. पीड़ित महिलाएं न्याय के लिए दर-दर भटक रही हैं. पर, राज्य में उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा.
राज्य में कहीं न्याय न मिलता देख दुष्कर्म की दो पीड़िताओं ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. पीड़िताओं में एक 17 वर्ष की नाबालिग है और दूसरी 60 वर्ष की बुजुर्ग. अपने साथ हुई हैवानियत का ब्योरा देते हुए पीड़िताओं ने न्यायालय से बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के लंबित मामले में पक्षकार बनाए जाने और उनके मामलों की जांच एसआइटी या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है.
पीड़िताओं ने क्या कहा —
सामूहिक दुष्कर्म की शिकार 60 वर्षीय महिला ने याचिका में कहा कि चार-पांच मई, 2021 की रात को सत्ताधारी दल टीएमसी के समर्थकों ने उनके घर पर हमला किया. इस दौरान छह वर्षीय पोते के सामने पांच लोगों ने मेरे साथ दुष्कर्म किया. पुलिस द्वारा मामले में सहयोग नहीं करने का भी आरोप लगाया है. वर्षीय नाबालिग ने कहा कि वह नौ मई, 2021 को नजदीकी गांव में रहने वाली अपनी दादी से मिलकर सहेली के साथ लौट रही थी. उसे चार लड़कों ने रोक लिया और कहा कि अब इसे भाजपा का समर्थन करने का सबक सिखाएंगे. हमलावरों ने उसे जंगल में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किया. पीड़िता ने कहा कि वह अनुसूचित जाति से है. पीड़िताओं ने स्वयं और परिवार की सुरक्षा की मांग की है. नाबालिग पीड़िता ने मुकदमे का ट्रायल बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने की मांग भी की है.
बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामले की सर्वोच्च न्यायालय पहले से ही सुनवाई कर रहा है. मतदान के बाद टीएमसी गुंडों द्वारा हिंसा में मारे गए दो भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों की याचिकाएं लंबित हैं. इन पर कोर्ट पहले ही बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर चुका है.