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भारत जोड़ो यात्रा – कांग्रेस का बेनकाब होता चेहरा

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मृत्युंजय दीक्षित

स्वयं को पुर्नजीवित करने के लिए कांग्रेस अपने नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में कश्मीर से कन्याकुमारी तक 145 दिन की यात्रा पर निकली है और इसे नाम दिया है – भारत जोड़ो यात्रा. बस यही विडंबना है, उद्देश्य है बिखरती कांग्रेस को कुछ संजीवनी देना और इसी बहाने एक बार फिर राहुल को लांच करना.

कांग्रेस पार्टी की यह यात्रा कहाँ, क्या और कितना जोड़ पाएगी, यह तो समय बताएगा. लेकिन पिछले कुछ दिनों में ही यात्रा ने कांग्रेस का चरित्र अवश्य बेनकाब किया है. राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पूरी तरह हिन्दू और सनातन संस्कृति विरोधी पार्टी बन चुकी है, इसमें टुकड़े- टुकड़े गैंग तथा हम लेकर रहेंगे आजादी के नारे लगाने वाले भर्ती हो चुके हैं. राहुल गांधी इस यात्रा के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समाप्त करने का दिवास्वप्न भी देख रहे हैं.

भारत जोड़ो का नारा देकर यात्रा पर निकले राहुल गांधी की कांग्रेस ट्वीट करके 145 दिन में जलाकर भस्म करने की भविष्यवाणी कर रही है. राहुल गांधी संभवतः यह भूल गए हैं कि स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सहित तमाम सेकुलर नेता संघ को समाप्त करने का सपना देखते रहे, किंतु स्वयंसेवकों व कार्यकर्ताओं के परिश्रम और राष्ट्रीय विचारधारा के बल पर संघ आज एक विशाल वटवृक्ष बन चुका है जो राहुल गांधी की 145 दिन की यात्रा के समापन के बाद भी वैसे ही खड़ा रहेगा.

भारत जोड़ो यात्रा के पांचवें दिन कांग्रेस ने एक फोटो टवीट किया और लिखा, – भारत को नफरत की जंज़ीरों से मुक्त कराने और भाजपा संघ द्वारा किये गए नुकसान की भरपाई के लिए हम एक-एक कदम आगे बढ़ रहे हैं. “145 दिन और”, साथ लगाए फोटो में निक्कर में आग लगी हुई है और उसमें से धुआं उठ रहा है. यद्यपि अब निक्कर संघ का गणवेश नहीं है, किन्तु कांग्रेस की मंशा स्पष्ट हो गयी है.

राहुल गांधी के केरल में प्रवेश करते ही कांग्रेस ने यह ट्वीट किया. प्रतीत होता है कि इसके माध्यम से राहुल और कांग्रेस केरल के कट्टरपंथी मुसलमानों को खुश करना चाहते हैं. दरअसल ऐसा करके राहुल नेहरु जी के पदचिन्हों का ही अनुसरण कर रहे हैं. नेहरू जी ने  भी आजादी के ठीक बाद दक्षिण भारत में संघ को दबाने और मुस्लिम लीग को आगे बढ़ाने का काम किया था. नेहरू ने तत्कालीन मद्रास प्रांत (वर्तमान तमिलनाडु, आंध्र, कर्नाटक और केरल आता था) की सरकार पर दबाव बनाया था कि वो संघ पर प्रतिबंध लगे. वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम लीग को खुली छूट दी जाए. आजादी के ठीक छह महीने बाद से ही नेहरू जी ने संघ को समाप्त करने के षड्यंत्र करने प्रारंभ कर दिए थे. आज उन्हीं के परनाती राहुल गांधी 145 दिन बाद संघ को समाप्त करने का सपना देख रहे हैं. राहुल गांधी की कांग्रेस ने जिस प्रकार से खाकी निक्कर पर आग लगाई है, वैसी आग तो कांग्रेस वास्तव में लगाती रही है.

जिसमें 1984 के सिक्ख दंगों से लेकर, बिहार का भागलपुर दंगा, उप्र का मेरठ दंगा सहित तमाम ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं. जिनसे पता चलता है कि कांग्रेस कितनी अधिक नफरत से भरी पड़ी है.

इसके पूर्व इसी यात्रा के दौरान राहुल गांधी तमिलनाडु में कन्याकुमारी में ईसाई पादरी जॉर्ज पोन्नैया से मुलाकात करते हैं जो हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करता रहता है. दोनों की मुलाकात का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें ईसाई पादरी जॉर्ज पोन्नैया ईसा मसीह को सच्चा भगवान बताते हुए मां शक्ति सहित अन्य सभी देवताओं को निम्नस्तर का बता रहा है और चुनावों के दौरान मंदिर- मंदिर जाने वाले, स्वयं को दत्तात्रेय गोत्र का जनेऊधारी पंडित बताने वाले राहुल गांधी उसके अपलाप को बड़े ध्यान से सुन रहे हैं.

वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा व संत समाज का हमलावर होना स्वाभाविक था. संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पादरी द्वारा सनातन धर्म को लेकर की गई टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए संस्था के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि राहुल गांधी ने पादरी के बयान की निंदा नहीं की, यह कष्टकारी है. वह जन्मजात ईसाई हैं, उनके अंदर हिन्दुत्व नहीं है. अन्यथा वह इसका विरोध करते. हिन्दू समाज उन्हें सबक सिखाएगा. यीशु सनातन धर्मावलंबियों के ईश्वर नहीं हो सकते.

इतना ही नहीं, इसके बाद केरल पहुंचे राहुल गांधी को देश की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिशर्स के खिलाफ लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और गांधीवादियों केई मैमन, पी गोपीनाथन नैय्यर की याद में बने स्मारक पर जाना था. लेकिन बिना किसी सूचना के अंतिम समय पर राहुल गांधी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा कि कांग्रेस नेताओं ने हिन्दुओं की भावनाओं को आहत किया है. गांधी परिवार कई बार भगवान राम सहित हिन्दू देवताओं का सबूत मांग चुका है. यह वही गांधी परिवार व कांग्रेस के नेता हैं जो रामायण व महाभारत को केवल एक साधारण महाकाव्य ही मानते हैं. यह वही नेता हैं, जिनके मार्गदर्शन में मां काली का अपमान किया जाता है. यह वही हैं, जिनके मार्गदर्शन में दिवंगत मकबूल फिदा हुसैन जैसे लोग हिन्दू देवी – देवताओं की नंगी तस्वीरें बनाकर व प्रदर्शनी लगवाकर उनका अपमान करते रहते हैं. यह वही हैं, जिन्होंने अभी हाल ही में हिन्दू बनाम हिन्दुत्व पर बहस छेड़कर हिन्दू समाज को खंड – खंड करने की घृणित साजिश रची थी. राहुल गांधी ने जिस ईसाई पादरी से मुलाकात की, वह पहले भी हिन्दू धर्म के खिलाफ नफरती बयान देता आया है. यह पादरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ भी जहरीली बयानबाजी कर चुका है.

भारत जोड़ो यात्रा के रूट पर विहंगम दृष्टि डालें तो पता चलेगा कि कांग्रेस के असली मंसूबे क्या हैं. राहुल गांधी की यह यात्रा पूरी तरह तुष्टिकरण के लिए है क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी 20 लोकसभा सीटों वाले राज्य केरल में तो 18 दिन रहेंगे, लेकिन 80 सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सिर्फ चार दिनों की यात्रा करेंगे और सबसे बड़ी बात यह कि उनकी यात्रा में हिन्दू आस्था के सबसे बड़े केंद्र अयोध्या, मथुरा और काशी शामिल नहीं हैं. स्पष्ट है कि अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है तथा नव अंगड़ाई लेते मथुरा और काशी भी कांग्रेस को रास नहीं आ रहे. गांधी परिवार व कांग्रेस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हिन्दू समाज, सनातन संस्कृति के विरुद्ध घृणा भरी हुई है. इनका मंदिर –  मंदिर जाना भी एक बड़ा धोखा व झूठ ही है.

कांग्रेस की यह यात्रा बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ आक्रोश रैली के साथ शुरू हुई थी और आग लगाने पर सिमट रही है. वास्तव में कांग्रेस की यह यात्रा भारत जोड़ो नहीं, वरन विवाद बटोरो यात्रा बनती जा रही है.

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