भोपाल (विसंकें). भारतीय सीमा पर लगातार निगाहें गड़ाए बैठा चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. इन्हीं हरकतों के तहत लद्दाख की गलवान घाटी में विगत दिनों चीनी सेना ने भारतीय सेना के जवानों को अपनी कुंठित मानसिकता का शिकार बनाया था, जिसके बाद पूरे देश में आक्रोश का माहौल है. आम नागरिक से लेकर बड़े-बड़े व्यापारी भी अब चीनी सामग्री का बहिष्कार करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसी के तहत बुरहानपुर के उद्योगपति और बुनकरों ने चीनी माल से तौबा करने का फैसला लिया है.
बुरहानपुर के बुनकरों और उद्योगपतियों ने पूर्व में ही चीन से सूत खरीदना बंद कर दिया था, जिसके बाद अब यह बुनकर चीनी पावरलूम और मशीनरी भी नहीं खरीदेंगे. बुनकरों ने निर्णय लिया है कि वह अब भारत में निर्मित पावरलूम पर ही कपड़ा तैयार करेंगे और भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा बनकर भारत में बने देसी पावरलूम का कपड़ा बनाकर बेचेंगे. बुनकरों के फैसले से स्वदेशी उत्पादों की बिक्री में बढ़ावा तो मिलेगा ही साथ ही साथ धोखेबाज चीन को भी सबक सिखाया जा सकेगा.
मध्यप्रदेश में सर्वाधिक पावरलूम कारखाने बुरहानपुर में ही स्थित हैं. करीब 50,000 पावरलूम पर कपड़ा तैयार होता है जो देश के अलावा विदेशों तक में निर्यात किया जाता है. बुरहानपुर शहर में बरसों पुराने पावरलूम संचालित हो रहे हैं, इनमें हाथों से संचालित देसी पावरलूम और बिजली से चलने वाली आधुनिक पावरलूम शामिल हैं. करीब 70,000 बुनकर और मजदूर पावरलूम पर काम करते हैं तथा करीब दो लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इस काम में जुड़े हुए हैं. ऐतिहासिक शहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी पावरलूम व्यवसाय है, लॉकडाउन के कारण पहले ही यह व्यापारी व्यवसाय में काफी नुकसान उठा चुके हैं और उनके व्यापार की रफ्तार भी धीमी हो गई है. जिसके बाद अब बुरहानपुर के बुनकरों और व्यापारियों ने एक साहसिक निर्णय देश हित में लिया है. व्यापारियों ने अब चीन के माल से अपना उत्पादन ना करने का फैसला किया है.