करंट टॉपिक्स

अमृत महोत्सव – ‘स्व’ के लिए पूर्णाहुति : स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद त्रिपाठी

स्वतंत्रता सेनानी पं. बालमुकुन्द त्रिपाठी का नाम आते ही एक विस्मृत योद्धा का स्मरण हो आता है. पं. बालमुकुंद त्रिपाठी को सविनय अवज्ञा आंदोलन में...

26 अगस्त / इतिहास स्मृति – चित्तौड़ का पहला जौहर

नई दिल्ली. जौहर की गाथाओं से भरे पृष्ठ भारतीय इतिहास की अमूल्य धरोहर हैं. ऐसे अवसर एक नहीं, कई बार आए हैं, जब हिन्दू ललनाओं ने अपनी...

“स्व की विजय और प्राप्ति के लिए पूर्णाहुति : नेताजी सुभाष चंद्र बोस”

डॉ. आनंद सिंह राणा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक महारथी सुभाष चंद्र बोस को सन् 1939 में जबलपुर के पवित्र तीर्थ त्रिपुरी में भारत का...

स्वाधीनता का अमृत महोत्सव – विंध्य के अमर बलिदानी ‘मथानी लोहार’..!

सन् अठारह सौ सत्तावन की क्रांति में आधिकारिक (गजेटियर व अन्य सरकारी दस्तावेजों के अनुसार) तौर पर विंध्य क्षेत्र से रणमत सिंह, श्यामशाह के बाद...

जब अटल जी ने हुंकार भरी – मेरी कविता जंग का ऐलान है, हारे हुए सिपाही का नैराश्य निनाद नहीं !

जयराम शुक्ल पुण्यस्मरण आज की उथली राजनीति और हल्के नेताओं के आचरण के बरक्स देखें तो अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व की थाह का आंकलन...

15 अगस्त पर विशेष – आध्यात्मिक चेतना के संवाहक : महर्षि अरविंद

मृत्युंजय दीक्षित श्री अरविंद का जन्म ऐसे समय में हुआ था, जब देश में अंग्रेजों का राज स्थापित हो चुका था. देश में अंग्रेजियत व...

अमृत महोत्सव : 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का अद्भुत एवं अद्वितीय विस्मृत योद्धा – सूबेदार बलदेव तिवारी

"राजा शंकर शाह, रघुनाथ के बलिदान का  प्रतिशोध"..... भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अनेक योद्धा हुए, जिनका स्मरण देश आज भी करता है. लेकिन अनेक योद्धा...

पूर्वोत्तर में संघ कार्य विस्तार में विनायकराव कनितकर

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की. इसके लगभग 21 साल बाद संघ कार्य के विस्तार के...

वीर बालक शान्तिप्रकाश का बलिदान

देश की स्वाधीनता के लिए हजारों वीरों, माताओं, बहनों और नवयुवकों ने बलिदान दिया. इनमें से ही एक था 18 वर्षीय वीर बालक शान्तिप्रकाश, जिसने...

भारतीय शिक्षा विचार के प्रसार में लज्जाराम तोमर जी की भूमिका

अवनीश भटनागर स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी शिक्षा में भारतीयता के विचार की चर्चा आते ही शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों के कान खड़े हो जाते...