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छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव ही रहेगा नाम; बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सरकार का निर्णय बरकरार रखा

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मुंबई. औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव ही रहेगा. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार के निर्णय पर मोहर लगा दी. 2022 में, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में महाराष्ट्र कैबिनेट ने औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने को स्वीकृति प्रदान की थी.

उच्च न्यायालय ने औरंगाबाद शहर व राजस्व क्षेत्रों का नाम बदलकर क्रमशः छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद शहर व राजस्व क्षेत्रों का नाम धाराशिव करने की अधिसूचना को बरकरार रखा.

सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं न्यायालय में दायर की गईं थीं. उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ 17 लोगों ने जनहित याचिका दायर की थी. दोनों याचिकाओं में सरकार के फैसले को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया गया.

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस डॉक्टर की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. ‘हमें यह मानने में कोई झिझक नहीं है कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना किसी भी कानूनी दोष से ग्रस्त नहीं है.’ उच्च न्यायालय ने कहा, याचिकाएं योग्यता रहित हैं और इसलिए खारिज की जाती हैं.

16 जुलाई, 2022 को दो सदस्यीय कैबिनेट ने नाम बदलने के लिए प्रस्ताव पारित किया और फिर केंद्र सरकार को भेज दिया गया. फरवरी 2023 में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शहरों और जिलों के नाम बदलने के लिए अनापत्ति पत्र दिया और उसके बाद, राज्य सरकार ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने के लिए एक गजट अधिसूचना जारी की. महाराष्ट्र सरकार ने याचिकाओं का विरोध करते हुए दावा किया था कि दोनों स्थानों का नाम उनके इतिहास के कारण बदला गया है, न कि किसी राजनीतिक कारण से.

राजस्व क्षेत्रों का नाम बदलना महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता, 1966 की धारा 4 द्वारा शासित होता है, जो राज्य सरकार को किसी भी राजस्व क्षेत्र की सीमा को बदलने या ऐसे किसी भी राजस्व क्षेत्र को समाप्त करने और उसका नामकरण करने की अनुमति देता है.

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