रायपुर, छत्तीसगढ़।
नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के घने जंगल एक बार फिर गोलियों की आवाज से गूंज उठे। बुधवार सुबह सुरक्षाबलों ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 26 से अधिक नक्सलियों को मौत के घाट उतारा है। मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में नक्सल संगठन का बड़ा चेहरा और 1 करोड़ का इनामी पोलित ब्यूरो सदस्य बसवा राजू भी शामिल है।
अबूझमाड़ में मुठभेड़ के बाद यह साफ हो गया है कि नक्सलवाद की जड़ें अब कमजोर हो रही हैं और इसका अंत बहुत समीप है। पुलिस को पुख्ता जानकारी मिली थी कि नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर के सीमावर्ती इलाके बोटेर में बसवा राजू अपने दल के साथ मौजूद है। इसके बाद विशेष बलों को रवाना किया गया। जैसे ही सुरक्षा बल अबूझमाड़ के बोटेर पहुंचे, नक्सलियों ने घात लगाकर फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने भी मोर्चा संभालते हुए जवाबी कार्रवाई की। घंटों चली मुठभेड़ में अब तक 20 नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं।
बसवा राजू कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) का महासचिव था। बसवा राजू को ढूंढकर मार गिराना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है, क्योंकि उसका ठिकाना दशकों से रहस्य बना हुआ था। सुरक्षाबलों ने सात दिन पहले भी कर्रेगुट्टा ऑपरेशन के तहत छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर 31 नक्सलियों को मार गिराया था। यह ऑपरेशन 21 दिनों तक चला था। मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों में 16 महिलाएं और 15 पुरुष शामिल थे। अब अबूझमाड़ में हुई कार्रवाई से स्पष्ट है कि नक्सलियों के आखिरी गढ़ पर भी सुरक्षाबलों की पकड़ मजबूत हो गई है।
प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों ने बेहद साहसिक कार्रवाई की है। उन्होंने जवानों की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि नक्सलवाद अब अंतिम सांसें गिन रहा है।
सरकार और सुरक्षाबल मिलकर जंगलों में छिपे आखिरी नक्सली तक पहुंचने और उन्हें खत्म करने का काम कर रहे हैं।
अबूझमाड़, कर्रेगुट्टा और इससे पहले सिलगेर, बासागुड़ा, दक्षिण बस्तर जैसे क्षेत्रों में हुई लगातार कार्रवाइयों से स्पष्ट हो गया है कि नक्सलवाद अब केवल नाम मात्र का रह गया है। जिस संगठन ने कभी पूरे इलाके में दहशत फैला रखी थी, वह अब अपने ही लोगों को खोकर बिखरने की कगार पर है।
अबूझमाड़ को नक्सलियों का सबसे सुरक्षित गढ़ माना जाता था। यहां पर पुलिस और सुरक्षाबलों का पहुंचना कभी असंभव जैसा माना जाता था। लेकिन अब समय बदल चुका है। जवानों ने न केवल वहां तक पहुंच बनाई है, बल्कि नक्सलियों को उन्हीं के गढ़ में खत्म कर रहे हैं।
एक करोड़ का इनामी नक्सली बसवा राजू
बसवा राजू का असली नाम नंबाला केशव राव है। उसे गगन्ना, प्रकाश और बीआर के नाम से भी जाना जाता है। उसके पिता का नाम वासुदेव राव है। उसने बीटेक की पढ़ाई की थी और आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम का रहने वाला था। वह सीपीआई (माओवादी) में महासचिव के पद पर था।
वसवा राजू खूंखार नक्सली था। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का सीनियर कैडर और दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी का चीफ था। वह छत्तीसगढ़, ओडिशा से लेकर आंध्र प्रदेश की सीमाओं पर एक्टिव था।
नक्सली बसवा राजू सुरक्षाबलों के लिए बड़ा सिरदर्द था। वह कई नक्सली हमलों को अंजाम दे चुका था। पुलिसकर्मियों और नागरिकों की हत्या, खनन कंपनियों से उगाही और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना शामिल है। मुठभेड़ में उसके पास से एक 12 बोर राइफल, पिस्तौल और अन्य नक्सली सामग्री बरामद हुई। सबसे बड़ा हमला सुकमा और देंतेवाड़ा नक्सली हमला था। 2010 के दंतेवाड़ा हमले में 75 सीआरपीएफ जवान बलिदान हुए थे। इसमें बसवा का ही हाथ था।