चित्रकूट धाम. श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट धाम में बुधवार को घर-घर में दीपक जलाए गए. सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रामघाट और श्री कामदगिरि परिक्रमा स्थल रहा. जिसे हजारों दीपों की लड़ियों के साथ बेहद खूबसूरती से सजाया गया था. बड़ी संख्या में हुए दीप प्रज्ज्वलन से चित्रकूट ऐसे सजा था जैसे मंदाकिनी और कामदगिरि में आसमान से तारे उतर आए हों. इस दौरान इंद्र भगवान भी चित्रकूट पर मेहरबान रहे, झमाझम बारिश के बीच राम भक्तों ने दीपदान किया.
सड़कें भी हुई जगमग
चित्रकूट की शायद ही ऐसी कोई प्रमुख सड़क होगी, जो दीपकों की रोशनी से नहाईं ना हो. नगर के लोगों ने अपने घरों के बाहर भी दीपों से राम नाम लिखा, खुशी में लोग झूमते और राम जी की जय के नारे भी लगाते दिखे. दीपावली से कुछ महीनों पहले ही एक और दीपावली देखने को मिली. वास्तव में चित्रकूट का नजारा दीपावली से कम नहीं रहा.
पूर्व संध्या को दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव व स्थानीय साधु-संत और सामाजिक कार्यकर्ताओं की टोली ने परिक्रमा में लोगों से दीपदान करने की अपील की थी, सबसे व्यक्तिगत रूप से डोर टू डोर जाकर ज्यादा से ज्यादा दीप प्रज्ज्वलित करने का आग्रह किया गया था. भगवान राम के जन्म भूमि में भव्य मंदिर के भूमि पूजन को लेकर धर्म नगरी में भारी उल्लास देखने को मिला.
अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण शिलान्यास के पूर्व चित्रकूट में भगवान श्री कामदगिरि का पूजन किया गया. जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय एवं सतना सांसद गणेश सिंह, दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन, कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपाल दास जी महाराज सहित साधु संत प्रमुख रूप से उपस्थित रहे.
इस दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के राम दर्शन सहित सभी प्रकल्पों में हनुमान चालीसा एवं सुंदर कांड व प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया. इसके अलावा सभी स्थानों पर लाइटिंग भी की गई और सभी प्रकल्पों में दीप प्रज्ज्वलित किये गए.
चित्रकूट में दीपदान करके अपने आप को धन्य मानते हैं श्रद्धालु
चित्रकूट की ऐसी महिमा रही है कि वहां दीपदान करके श्रद्धालु अपने आप को धन्य मानते हैं. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रभु श्रीराम ने यहां रहकर साढ़े 11 वर्षों तक कामदगिरि व मंदाकिनी में दिया जलाया है. प्रभु श्रीराम जब लंका पर विजय प्राप्त करके लौटे तो प्रभु श्रीराम का स्वागत चित्रकूट में सबसे ज्यादा हुआ और 33 करोड़ देवी देवताओं ने 33 करोड़ दीप प्रज्ज्वलित करके भगवान की आरती की और खुशियां मनाई. इसलिए चित्रकूट में दीपावली का विशेष महत्व रहता है. राम मंदिर निर्माण का ऐतिहासिक पल चित्रकूट वासियों के लिए असली दिवाली का सुखद क्षण है.
चित्रकूट के कण-कण में विराजे हैं भगवान
कामदगिरि व मंदाकिनी में दीपदान करने पहुंचे लोगों ने कहा कि चित्रकूट के कण-कण में भगवान विराजे हैं, ये आध्यात्मिक नगरी है. यहां हजारों साल से लाखों लोग दीपदान करने आते हैं, चित्रकूट के रामघाट और कामदगिरि पर कुछ खास मौकों पर दीप प्रज्ज्वलित करने से आत्म संतुष्टि मिलती है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. ऐसा लगता है मानो भगवान से साक्षात्कार हो गया हो.
रामघाट मंदाकिनी तट दीपदान के दौरान श्रीराम के जयघोष से गुंजायमान हो उठा, कामदगिरि में जगह-जगह रामधुन, रामायण के पाठ, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ 1 दिन पहले ही शुरू हो गए थे.