नई दिल्ली. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रखर विद्वान, कुशल संगठनकर्ता, बहुआयामी लेखक तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक के पूर्व अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख रंगा हरि जी के निधन पर शोक व्यक्त किया. रंगा हरि जी का निधन अत्यंत पीड़ादायक है. उनका जन्म 05 दिसंबर, 1930 को कोच्चि में हुआ और अप्रैल 1951 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रचारक के रूप में विभिन्न भूमिकाओं में रहते हुए अपनी प्रतिबद्धता तथा अटूट समर्पण का परिचय दिया.
स्व. रंगा हरि जी ने अपना जीवन पूर्णरूपेण राष्ट्रीय विचारों के प्रसार को समर्पित कर दिया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख रहते हुए अनेक कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया. स्व. रंगा हरि जी का एक परिचय उनका सफल लेखकीय व्यक्तित्व भी है, उनकी लिखी पुस्तकों द्वारा देश-विदेश में अनेक लोग भारतीयता केन्द्रित विचारों को सही दृष्टिकोण से समझ पाए. बीते 11 अक्तूबर को ही उनकी लिखी पुस्तक ‘पृथ्वी सूक्त: धरती माता के प्रति एक श्रद्धांजलि’ पुस्तक का विमोचन किया गया, यह पुस्तक पृथ्वी के साथ मनुष्य के संबंधों पर प्रकाश डालती है और ऐसी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जो मानवता को आध्यात्मिकता के साथ जोड़ती है. स्व. रंगा हरि जी के अंतिम समय तक सभी को उनका मार्गदर्शन तथा स्नेह प्राप्त होता रहा.
स्व. रंगा हरि जी का पूर्ण जीवन देशसेवा तथा संघ कार्य को समर्पित रहा, ऐसी देश विभूति के निधन पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल तथा राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने अभाविप कार्यकर्ताओं का अंतिम प्रणाम निवेदित करते हुए उनसे प्रेरणा पाए हुए असंख्य कार्यकर्ताओं के प्रति संवेदना व्यक्त की, और उनकी आत्मा की सद्गति हेतु प्रार्थना की.