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कांग्रेस और राम भक्ति….!!!!

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सौरभ कुमार

बड़ी मशहूर कहावत है कि ‘नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली’. लेकिन जब से देश की हवा बदली है, हिन्दू समाज जागृत हुआ है, तब से बिल्लियां हज की जगह राम मंदिर निर्माण के लिए निकल रही हैं. कभी कुर्ते के ऊपर से जनेऊ पहनते हैं तो कभी जूते पहने हुए मंदिर में पहुंच जाते हैं. जिस कांग्रेस को कभी ‘श्री राम’ साम्प्रदायिक लगते थे, अब उनके नाम की माला दिन रात जपी जा रही है.

ताजा मामला मध्यप्रदेश का है. बीते मंगलवार भोपाल में कुछ बड़े-बड़े पोस्टर देखने को मिले. जिनमें कांग्रेस खुद को भगवान् श्री राम की झंडाबरदार बता रही है. श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए मकर संक्रांति से निधि समर्पण अभियान प्रारंभ होने वाला है. देशभर में जनजागरण अभियान चल रहा है. मध्यप्रदेश में जब जनजागरण रैली पर पथराव हुआ तो कांग्रेस चिठ्ठी लेकर शिकायत करने पहुंच गयी थी. पत्थरबाजों की शिकायत नहीं..! पत्थरबाजों पर हुई कार्यवाही की शिकायत करने. खैर अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी. और फिर कांग्रेस के नेता साहिर लुधियानवी की पंक्तियाँ गुनगुनाएंगे –

कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया

बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया

जो कांग्रेसी कभी राम के अस्तित्व को मानने के लिए तैयार नहीं थे, वह आज चीख-चीख कर कह रहे हैं कि राम मंदिर का ताला तो सबसे पहले राजीव गांधी ने खुलवाया. दिग्विजय सिंह पहले भी चीख-चीख कर यही बातें दुहरा चुके हैं. मगर अफ़सोस कांग्रेस के झूठ का भांडा कांग्रेसी ही फोड़ देते हैं. अपनी किताब माई इयर्स विद राजीव गांधी ट्रिंफ एंड ट्रेजडी’ में राजीव गांधी के करीबी, जम्मू कश्मीर कैडर के पूर्व आईएएस रह चुके वजाहत हबीबुल्लाह ने लिखा है कि विवादित परिसर में ताला खुल रहा है, ये बात राजीव गांधी को तब पता चली जब आदेश पारित हो गया. किताब के मद्देनजर दिलचस्प बात ये है कि विवादित परिसर में ऐसा कुछ होने वाला है, इसके बारे में किसी ने भी न तो राजीव गांधी से कंसल्ट किया न ही किसी ने ऐसा कुछ होने की सूचना राजीव गांधी को दी. तो फिर अगर ताला राजीव गांधी ने खुलवाया कहने वाले कल ये भी दावा कर दें कि गांव में सुबह इसलिए होती है क्यूंकि उनका मुर्गा बांग देता है तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.

पूर्व मंत्री पीसी शर्मा दरवाजे-दरवाजे जाकर कह रहे हैं कि चंदा लेने वालों के फेर में मत पड़िए. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के खाते में सीधा पैसा जमा करें. मंत्री जी कह रहे हैं कि ऐसा नहीं किया तो धोखेबाजी हो जाएगी. अब गलती उनकी है नहीं, सावन के अंधे को सब हरा ही दिखता है. बात धोखेबाजी की हो रही है तो जरा इस पोस्टर को देखिये –

 

पोस्टर में लगी फोटो और उस फोटो का कैप्शन दिया है ….पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी 1989 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण भूमिपूजन करते हुए.

वो बात अलग है कि तस्वीर किसी ‘भूमि पूजन’ की नहीं है. ये तस्वीर उस समय की है ​जब 1989 में, नई दिल्ली में पूर्व पीएम राजीव गांधी इस्कॉन के सोवियत सदस्यों से रूसी भाषा में भगवद्गीता की प्रति प्राप्त कर रहे थे. ये तस्वीर कई वेबसाइट्स के अलावा ‘Wikimedia Commons ‘ पर भी उपलब्ध है. यहां फोटो के विवरण में लिखा गया है – भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी सोवियत के हरे कृष्णा सदस्यों से भगवद्गीता की प्रति प्राप्त करते हुए जो कि रूसी भाषा में है. नई दिल्ली 1989.

इस फोटो का कॉपीराइट रूसी इस्कॉन के पास बताया गया है. खैर कांग्रेसियों का इतिहास बताता है कि रूस उनके लिए हमेशा से ‘त्वमेव माता च पिता त्वमेव’ रहा है, तो हो सकता है कि चूक कर बैठे हों. लेकिन क्या वो भी चूक थी, जब कांग्रेस ने देश की संसद में कहा था कि राम काल्पनिक हैं?

कांग्रेस की सरकार एक समय रामसेतू को तोड़ने का प्रस्ताव संसद में ले कर आई थी. जब इस परियोजना का विरोध हुआ तो तत्कालीन संस्कृति मंत्री अंबिका सोनी ने राज्यसभा (14 अगस्त, 2007) में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए दावा किया कि रामसेतू के संबंध में कोई पुरातात्विक अध्ययन नहीं किया गया है.

यही नहीं सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार ने हलफनामा दिया कि भगवान राम थे ही नहीं और रामसेतू जैसी कोई चीज़ नहीं है, यह एक कोरी कल्पना है. उस समय कांग्रेस नेता कपिल सिब्ब्ल केंद्र सरकार की ओर से वकील थे.

भगवान राम के प्रति भक्ति कैमरे के सामने है मन में नहीं. मन में भक्ति होती तो मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ राम का अपमान नहीं करते. पहुंचे तो थे भगवान राम का तिलक करने, लेकिन राम के सम्मान को धूल करते देर नहीं लगी. भगवान श्रीराम का तिलक करने के बाद हाथ उन्हीं की माला से पोंछ डाली, वरना कुर्ता गंदा हो जाता.

माला पर लगे दाग को रामभक्त एक बार गलती मान कर माफ भी कर दे… लेकिन कांग्रेस ने तो राम के चरित्र पर भी दाग लगाने के प्रयास किये हैं. याद कीजिये राज्यसभा में चर्चा हो रही थी तीन तलाक और हलाला की, लेकिन कांग्रेस हिन्दू देवी-देवताओं को इस चर्चा में ले आई. पार्टी के सांसद हुसैन दलवई ने कहा, ‘हमारे समाज में पुरुष वर्ग का महिलाओं पर वर्चस्व है. यहां तक कि श्रीरामचंद्र जी ने भी एक बार शक करते हुए अपनी पत्नी सीता जी को छोड़ दिया था.’

 

16 मई, 2016 को तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी. बहस सामान्य थी कि ट्रिपल तलाक और हलाला मुस्लिम महिलाओं के लिए कितना अमानवीय है, लेकिन सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और AIMPLB के वकील कपिल सिब्बल ने तीन तलाक और हलाला की तुलना राम के अयोध्या में जन्म से कर डाली. कपिल सिब्बल ने दलील दी, जिस तरह से राम हिन्दुओं के लिए आस्था का सवाल है, उसी तरह तीन तलाक मुसलमानों की आस्था का मसला है. साफ है कि भगवान राम की तुलना, तीन तलाक और हलाला जैसी परंपराओं से करना कांग्रेस और उसके नेतृत्व की हिन्दुओं के प्रति उनकी सोच को ही दर्शाती है.

इसी कांग्रेस ने दशकों तक मंदिर निर्माण को लटकाए रखा और जब सर्वोच्च न्यायालय ने राम मंदिर की सुनवाई में तेजी लायी तो कपिल सिब्बल ने मामले को लटकाने का प्रयास किया था और कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर अब जुलाई 2019 के बाद सुनवाई हो.

एक समय इसी कांग्रेस का अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ भगवान् राम का अपमान करने वाली लेखिका के समर्थन में उतर आया था. Audrey Truschke नाम की महिला, जिसे संस्कृत का विद्वान बताया जा रहा है, उसने एक ट्वीट किया था, जिसमें उसने दावा किया कि वाल्मीकि रामायण में अग्निपरीक्षा के समय माता सीता ने भगवान राम को महिला से द्वेष करने वाला और असभ्य बताया था.

जब इस अधकचरे ज्ञान पर “संस्कृत के विद्वान” की सोशल मीडिया पर क्लास लगी तो कांग्रेसी अखबार की खबर का हैडलाइन था –

तो अब आपका निर्णय आप खुद कीजिये. सोशल मीडिया के इस दौर में देश की जनता अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के अपमान के लिए उन्हें माफ करने वाली नहीं है…..

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