कर्नाटक की नवगठित कांग्रेस सरकार तुष्टीकरण की नीति पर चल बड़ी है. तुष्टीकरण व वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस सरकार वैसे ही निर्णय भी कर रही है. राज्य में भाजपा शासन के समयधर्मांतरण विरोधी कानून लागू होने के पश्चात धर्मांतरण की गतिविधियों पर अंकुश लगना प्रारंभ हुआ था, अब कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ने अपने वोट बैंक के लिए पहला काम एंटी कनवर्ज़न लॉ को सुगम बनाने का किया है.
एंटी कन्वर्जन कानून राज्य में वर्ष 2022 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय लागू हुआ था. कर्नाटक में भाजपा सरकार ने दिसंबर 2021 में कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलिज़न बिल प्रस्तुत किया था. इसके बाद 2021 में ही एक अध्यादेश के माध्यम से इसे लागू कर दिया गया था और सितंबर 2022 में यह कानून बन गया था.
अब तीन जुलाई से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में कांग्रेस सरकार इस कानून को रद्द करने के लिए प्रस्ताव लेकर आएगी. कर्नाटक मंत्रिमंडल की गुरुवार (15 जून) को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया. यह कानून लालच देकर, दबाव बनाकर, बरगलाकर और निर्धारित प्रक्रिया पूरी किए बिना धर्मांतरण की गतिविधियों पर अंकुश लगाता है. कानून के अनुसार जबरन, किसी के प्रभाव में, बहका कर या लालच देकर कन्वर्जन कराना गैरकानूनी है. दोषी को तीन से पांच वर्ष की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. सामूहिक तौर पर धोखाधड़ी से कन्वर्जन कराने के लिए तीन से दस साल तक की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है. नाबालिग महिला, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों का गलत तरीके से कन्वर्जन कराने पर कारावास और अर्थदंड की राशि बढ़ जाती है.
कानून में यह भी कहा गया है कि यदि कोई भी शादी कन्वर्जन के मंतव्य से की गई है, तो उसे फैमिली कोर्ट द्वारा अवैध मान जाएगा. ऐसा कन्वर्जन गैर जमानती अपराध होगा. इस कानून के अंतर्गत कन्वर्जन से पहले जिलाधिकारी को सूचित करना आवश्यक है.
स्पष्ट है कि कानून के निरस्त होने के बाद धर्मांतरण की गतिविधि में शामिल लोगों को कोई डर नहीं होगा, वे खुले आम अपना एजेंडा चला सकेंगे.
इसके अलावा कांग्रेस सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम से डॉ. हेडगेवार और वीर सावरकर के चैप्टर हटाने की भी घोषणा की है. इनके स्थान पर नेहरू और इंदिरा के चैप्टर होंगे. चर्चा है कि कांग्रेस सरकार गोकशी को वैध बनाने को लेकर भी विचार कर रहा है. अथवा कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम और संरक्षण अधिनियम 2021 के प्रावधानों को हल्का किया जा सकता है.