केस स्टडी के लिए देश सहित विदेशों के शिक्षण संस्थानों को आमंत्रित किया जाए
निर्माण कार्य के दौरान आए अनुभवों को एक डाक्युमेंट में लिया जाए
रक्षा मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और बीआरओ को दिया सुझाव
रोहतांग (विसंकें). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की सीमाओं पर कनेक्टिविटी का होना बेहद आवश्यक होता है. यह अटल टनल बॉर्डर पर कनेक्टिविटी का विश्वस्तरीय उदाहरण है जो भारतीय सीमा के आधारभूत ढांचे को मजबूत करेगी. इस टनल का काम अपने आप में इंजीनियरिंग की दृष्टि से, वर्क कल्चर की दृष्टि से अद्वितीय है. अटल टनल भारत के बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को भी नई ताकत देने वाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सामरिक व नागरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण 10 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बनी अटल टनल रोहतांग के उद्घाटन अवसर पर संबोधित कर रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अटल टनल को देश को समर्पित किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री साउथ पोर्टल से नॉर्थ पोर्टल के लिए रवाना हुए. नरेंद्र मोदी ने आपातकालीन टनल का जायजा लिया. लाहुल-स्पिति में लाहुल के 14 बुजुर्गों को लेकर टनल से गुजरने वाली बस को हरी झंडी दिखाई.
उन्होंने रक्षा मंत्रालय, बीआरओ और शिक्षा मंत्रालय को सुझाव दिया कि अटल टनल की निर्माण प्रक्रिया को शिक्षा का हिस्सा बनाएं. पिछले इतने वर्षों में जबसे काम शुरू हुआ, डिजाइनिंग का काम शुरू हुआ, कागज पर लिखना शुरू हुआ, तब से लेकर 1500 लोग छांटें, मजदूर भी हो सकता है,टॉप व्यक्ति भी हो सकता है. उसने जो काम किया है, उसका अपना अनुभव, अपनी भाषा में लिखे. एक 1500 लोग पूरे प्रोसेस को अगर लिखेंगे, कब क्या हुआ, कैसे हुआ. तो एक ऐसा डाक्युमेंटेशन होगा, जिसमें ह्यूमन टच होगा. कभी कठिनाईयां आई होंगी, तो क्या लगा, कैसे काम किया. इजीनियरिंग चैलेंज का कैसे सामना किया. इसमें ऐसे अनुभव हों, जिसमें यहां की दुर्गम परिस्थितियों में काम को किस प्रकार किया गया, ऐसे मानवीय अनुभवों का समावेश हो.
शिक्षा मंत्रालय से आग्रह किया कि हमारे देश की तकनीक और इंजीनियरिंग से जुड़े विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को अटल टनल की केस स्टडी का काम दिया जाए. ताकि विश्व की सबसे लंबी और उंचाई पर स्थित टनल की बेहतरीन इंजीनियरिंग का ज्ञान प्रत्येक छात्र को हो. इसके साथ ही एम.ई.ए. के लोग विश्वस्तर पर भी विश्वविद्यालयों को आमंत्रित करें. ताकि यहां आकर विदेशी छात्र भी इस पर केस स्टडी करें. दुनिया के अंदर हमारी इस ताकत का परिचय होना चाहिए, कि सीमित संसाधनों के बाद भी कैसे अद्भुत काम वर्तमान पीढ़ी के हमारे जवान कर सकते हैं, इसका ज्ञान विश्व को होना चाहिए. इससे भारतीय सामर्थ्य को विश्व के लोग जान पाएंगे. बीआरओ, एमईए और शिक्षा मंत्रालय, सब मिलकर ये टनल का काम शिक्षा का हिस्सा बन जाए. इससे नयी पीढ़ी को तैयार करने में सहायता होगी. ये टनल एक इंफ्रास्ट्रक्चर बनेगी, लेकिन येटनल उत्तम इंजीनियर तेयार करने का भी काम करे, इस दिशा में भी हम प्रयास करें.
उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र में चाहे वह हिमाचल हो, जम्मू-कश्मीर हो, कारगिल लेह-लद्दाख हो, उत्तराखंड हो, सिक्किम हो, अरूणाचल प्रदेश हो, दर्जनों प्रोजेक्ट पूरे किये जा चुके हैं. अनेकों प्रोजेक्टों पर तेजी से काम चल रहा है. सड़क बनाने का काम हो, पुल बनाने का काम हो, सुरंग बनाने का काम हो इतने बड़े स्तर पर देश में इन क्षेत्रों में पहले कभी नहीं हुआ. इसका बहुत बड़ा लाभ सामान्य लोगों के साथ ही हमारे सैनिकों को भी होगा. सर्दी के मौसम में उन तक रसद पहुंचाना हो, उनकी रक्षा से जुड़े साजो-सामान हो और वे आसानी से पैट्रोलिंग कर सकें, इसके लिए सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. देश की रक्षा जरूरतों का ध्यान रखना, उनके हितों का ध्यान रखना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारत की वैश्विक बदलती भूमिका के कारण तेजी के साथ आर्थिक और सामरिक आधारभूत ढांचे को बढ़ाना है. भारत में रक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश और विदेशी तकनीक आ सके, इसके लिए अब भारतीय संस्थानों को अनेक प्रकार के प्रोत्साहन दिये जा रहे हैं. सीमा पर आधारभूत ढांचे को मजबूत किये जाने की मांग बहुत पहले से की जा रही थी. परन्तु इच्छाशक्ति के अभाव के कारण यह संभव नहीं हो पाया. लद्दाख के दोलत बेग ओल्डी एयर स्ट्रिप को 40 साल बंद रखा गया. असम में पुल का काम अटल जी के समय शुरू हुआ. कोसी महासेतू के काम पर भी ध्यान नहीं दिया गया. बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए पूरी ताकत लगा दी गई है.
लंबे समय तक बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग के स्टेज से बाहर नहीं निकल पाए, या जो निकले वे लटक गए, अटक गए, भटक गए, अटल टनल के साथ भी ऐसा होता अनुभव हुआ.