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जनजाति समाज की हुंकार – मतांतरितों को जनजाति सूची से किया जाए बाहर

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अन्य मजहबों में मतांतरितों को जनजाति सूची से बाहर करने, आरक्षण व अन्य सुविधा समाप्त करने की मांग को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच की हुंकार

भुवनेश्वर, 25 मार्च. जनजाति सुरक्षा मंच ओडिशा ने स्थानीय जनता मैदान में विशाल रैली का आयोजन किया. रैली में अनुसूचित जनजाति वर्ग की विभिन्न समस्याओं सहित मांग उठाई गई कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के जो लोग अपनी मूल संस्कृति छोड़कर अन्य मजहबों में मतांतरित हो गये हैं, उन्हें जनजातीय वर्ग की सूची से बाहर किया जाए. उन्हें आरक्षण व अन्य सुविधाएं प्रदान करना बंद किया जाए. इस मांग को पूरा किये जाने तक जनजातीय समाज शांति से नहीं बैठेगा और आंदोलन जारी रखेगा. जनजाति सुरक्षा मंच की रैली में वक्ताओं ने डी-लिस्टिंग की मांग को जोरशोर से उठाया.

विशाल जनजातीय रैली के लिए भुवनेश्वर के तीन स्थानों से तीन शोभायात्राएं कार्यक्रम स्थल के लिए निकाली गई. इन शोभायात्राओं में पूरे राज्य के 62 जनजाति वर्ग के प्रतिनिधि शामिल थे. वे अपनी-अपनी पारंपारिक वेशभूषा व वाद्ययंत्र लिये हुए थे. राजधानी के विभिन्न चौराहों पर शोभायात्राओं का स्वागत किया.

जनता मैदान में आयोजित विशाल प्रतिवाद कार्यक्रम में मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. राजकिशोर हांसदा ने कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच 2006 से जनजातीय लोगों के हितों की सुरक्षा के लिए लगातार कार्य कर रहा है. संविधान की धारा 342 में आवश्यक संशोधन कर अनुसूचित जनजाति लोगों के हित की रक्षा की जानी चाहिए.

कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने कहा कि देश के संविधान में धारा 341 के अनुसार अनुसूचित जाति का कोई व्यक्ति यदि धर्मांतरित होता है तो उसे आरक्षण की सुविधा नहीं मिलती. लेकिन धारा 342 के तहत अनुसूचित जनजाति लोगों के लिए यह नियम लागू नहीं है. इस कारण मतांतरित होने के बाद भी ये  लोग अल्पसंख्यक की सुविधा के साथ साथ जनजाति वर्ग को मिलने वाली सुविधा का भी लाभ उठा रहे हैं. इस कारण ऐसे लोग मूल धर्म संस्कृति का अनुसरण करने वाले जनजाति वर्ग के नौकरी,  छात्रवृत्ति वह सरकारी अनुदान में हिस्सा मार रहे हैं. इससे मूल लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी मांग को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच पहले भी आंदोलन कर चुका है. 2009 में 28 लाख जनजाति लोगों का हस्ताक्षर लेकर एक ज्ञापन राष्ट्रपति को प्रदान किया गया था. इसी तरह 2020 में 288 जिलाधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया था.

मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेशराम भगत, पवित्र कंहर, बीणापाणि नायक, शक्तिदयाल किस्कु व अन्य लोगों ने भी उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया.

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