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अपना इतिहास भुलाकर देश खड़ा नहीं हो सकता – सुनील आंबेकर

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मेरठ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि अपने इतिहास को भुलाकर कोई भी देश खड़ा नहीं हो सकता, इतिहास को पढ़ना बहुत जरूरी है. हम लोगों को यह बात समझने की आवश्यकता है कि केवल कुछ लोगों ने देश को आजादी नहीं दिलाई, सम्पूर्ण देश के हर प्रान्त, जाति, वर्ग ने संघर्ष किया, बलिदान दिया.

उन्होंने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप के बारे में देश को जितना जानना चाहिए था, वह नहीं बताया गया. राजा महेंद्र प्रताप ने आजादी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. आजादी के लिए वह दुनिया में घूमे, वहां के लोगों से मिले और उन्हें बताया कि सब मिलकर ही ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति पा सकते हैं. उन्होंने दुनिया में घूमकर यह भी जाना कि देश की आजादी में कहां, कौन, कैसे काम आएगा? अगर ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना है तो सब को मिलकर काम करना होगा. वह राजा महेंद्र प्रताप जी की आत्मकथा “माय लाइफ स्टोरी ऑफ 55 इयर्स” के विमोचन के अवसर पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान संबोधित कर रहे थे.

सुनील आंबेकर ने कहा कि देश को आजादी समाज के प्रयास से मिली है. स्मरण करना आवश्यक है कि आजादी आसानी से नहीं मिली, क्षमता के अनुसार सब लोगों ने कुछ ना कुछ प्रयास किया. देश के हर कोने में आंदोलन लड़ा गया. यह कहीं देखने को नहीं मिलता कि इतना लंबा व्यापक जन सरोकार से जुड़ा आंदोलन दुनिया में कहीं और हुआ हो, बहुत से लोगों ने अपना सब कुछ लुटा कर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया.

राजा महेंद्र प्रताप ने देश की आजादी के लिए तो काम किया है, इसके अलावा देश के युवाओं को अच्छी शिक्षा मिले इसके लिए स्कूल व कॉलेज बनवाए. दुनिया में घूम कर यह भी जाना कि देश के युवाओं को अच्छी से अच्छी टेक्नोलॉजी से पहचान कराई जाए.

कार्यक्रम के अध्यक्ष चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा ने कहा कि देश की आजादी के लिए हर किसी ने अपनी क्षमता के अनुसार योगदान दिया. आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. आजादी मिले हुए 75 वर्ष पूर्ण होने वाले हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस बात को सिद्ध करती है कि देश के युवाओं को फिर से खड़ा करना होगा, उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें योग्य बनाना होगा. हमें अपनी क्षमताओं को पहचानना होगा और उस पर काम करना होगा. मंच का संचालन अनिल गुप्ता ने किया. प्रो. प्रशांत कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

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