माना अगम अगाध सिंधु है, संघर्षों का पार नहीं है.
किन्तु डूबना मझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है..
जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसंधान न भूलें….
कर्णावती.
संघ की शाखाओं में नित्य प्रतिदिन होने वाले कार्यक्रमों में एक ही संस्कार कैसे हमारी प्राणप्रिय मातृभूमि जगत के सर्वोच्च सिंहासन पर विराजित होकर जग को अभय प्रदान करे. कार्य सरल नहीं तो कार्यनिष्ठा भी कम नहीं. वर्तमान समय में कोविड19 के संक्रमण से उत्पन्न संकट दिन प्रतिदिन अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है. मृत्यु के देव का मानो महाउत्सव चल रहा है. गत वर्ष के मुकाबले मारक क्षमता भी बढ़ रही है. इस छद्म युद्ध में प्रतिदिन संक्रमित होने वालों व मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे वातावरण में समाज में हताशा व भय बड़ी मात्रा में व्याप्त है. संघ के स्वयंसेवक इन सभी समस्याओं को पाटकर अपने स्वभाव अनुसार सेवाकार्यों में लग गए हैं.
सूरत महानगर में गुजरात प्रांत के अन्य स्थानों की अपेक्षा अधिक गंभीर स्थिति है. महानगर के स्वयंसेवक बिना धैर्य खोए सेवा कार्य में जुटे हैं. समस्या का नया प्रकार है तो स्वयंसेवक नए प्रकार के सेवा कार्य में लग गए. सूरत स्थित सिविल अस्पताल (कोविड केयर) में स्वयंसेवक 10-10 के समूहों में तीन बार अपनी सेवा दे रहे हैं. प्रातः 9.00 से 11.00 तक चाय-अल्पाहार, मध्याह्न 11.00 से 01.30 तक भोजन और सायं 6.00 से 7.30 तक भोजन पीपीई किट पहनकर उपलब्ध करवाते हैं. कोई रोगी ऑक्सीजन मास्क या अन्य कारणों से भोजन नहीं ले पा रहे हैं तो उन्हें अपने हाथों से भोजन करवाते हैं. रुग्णों को उनके परिजनों से वीडियो कॉलिंग द्वारा बातचीत करवाने का काम भी करते हैं.
सूरत महानगर में अधिक संख्या में शव आने के कारण शमशान घाट में काष्ठ कम पड़ रही थी, तो स्वयंसेवकों योजना बनाकर कुल 28 टन काष्ठ की व्यवस्था की.
कई प्रसंगों में कोरोना पीड़ित की मृत्यु होने पर उनके शव का अंतिम संस्कार करने में मृतक के परिजन भी कतराते हैं. साथ ही जिन लोगों को हिन्दू संस्कारों का ज्ञान नहीं, ऐसे लोगों के हाथों दाह संस्कार होता देख पंचमहल जिले के गोधरा नगर के स्वयंसेवक आगे आए, और पवित्र कार्य में लगे हैं. 15 स्वयंसेवकों का समूह अंतिम संस्कार कर रहा है.
कोरोना से बचाव के लिए मास्क पहनना, सेनेटाइजेशन, दो गज की दूरी उपयुक्त उपाय है. टीकाकरण भी सबसे अधिक उपयुक्त उपाय है. ऐसे में भ्रांति व जानकारी के अभाव में लोग टीकाकरण के प्रति उदासीन हैं. लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करने, कोरोना से बचाव के प्रति जागरूक करने के कार्य में पूरे गुजरात में स्वयंसेवक अभियान में जुटे हैं. गांधीनगर के विभिन्न स्थानों पर अन्य संस्थाओं के सहयोग से 12 अप्रैल को पांच स्थानों पर टीकाकरण का कार्य संपन्न हुआ, जिसमें 1100 लोगों ने टीका लगवाया.