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दुनिया के किसी कोने से जला सकेंगे दीप, दीपोत्सव में जलेंगे पांच लाख 51 हजार दीप

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अयोध्या में दीपोत्सव के अवसर पर दुनिया के किसी भी कोने से रामलला के सम्मुख दीप जलाया जा सकेगा. इसके लिए शासन की ओर से डिजिटल दीप जलाए जाने की व्यवस्था की गई है. इस व्यवस्था पर अमल के लिए मंगलवार को पोर्टल भी लांच कर दिया जाएगा.

अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने बताया कि दीप जलाने के इच्छुक श्रद्धालु इस पोर्टल पर निःशुल्क रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे.

13 नवंबर को होने वाले चतुर्थ दीपोत्सव की तैयारियों का जायजा लेने आए सहगल ने बताया कि कोरोना संक्रमण रोकने की गाइडलाइन के चलते इस बार दीपोत्सव में व्यवस्था से जुड़े लोगों के अलावा किसी अन्य को शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा रही है और इसकी भरपाई डिजिटल दीपोत्सव की योजना से की जा रही है. गाइडलाइन को ही ध्यान में रखकर दीपोत्सव में आतिशबाजी को भी निषिद्ध किया गया है. हालंकि लेजर आतिशबाजी की व्यवस्था की गई है. पोर्टल पर श्रद्धालु अपने भावानुसार मिट्टी, तांबे, स्टील या किसी अन्य धातु के दीप-स्टैंड का चयन कर सकेंगे. घी, सरसों या तिल के तेल का विकल्प भी उपलब्ध होगा. यही नहीं, श्रद्धालु अगर पुरूष और महिला है तो महिला के वर्चुअल हाथ दीप प्रज्ज्वलित करेंगे.

जलेंगे पांच लाख 51 हजार दीप

कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखकर भले ही दीपोत्सव में सीमित संख्या में लोगों को शामिल होने की अनुमति हो, पर इसकी भव्यता में कमी नहीं होगी. एक साथ अधिकाधिक दीप जलाए जाने का अपना कीर्तिमान अयोध्या का दीपोत्सव पुनः तोड़ेगा. इस बार राम की पैड़ी परिसर में एक साथ पांच लाख 51 हजार दीप जलाए जाने का लक्ष्य है, तो अन्य स्थलों पर यह संख्या भी लाखों में होगी. प्रथम दीपोत्सव से ही रामनगरी ने कीर्तिमान बनाया, जब राम की पैड़ी परिसर में एक साथ एक लाख 71 हजार दीप जले. दूसरे दीपोत्सव में यह संख्या तीन लाख से अधिक तो तीसरे दीपोत्सव में चार लाख 11 हजार तक जा पहुंची थी.

भव्य भवन में विराजेंगे रामलला

अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए 12 टेस्ट पाइलिंग बन कर तैयार हैं. विशेषज्ञों की निगरानी में इनकी जांच का क्रम चल रहा है. इन्हें मजबूती व आयु के पैमाने पर कसा जा रहा है.

मंदिर की नींव की मजबूती को लेकर ट्रस्ट व मंदिर निर्माण समिति लगातार कार्यदायी संस्था के साथ विचार मंथन कर रही है. वह किसी भी सूरत में मंदिर की आयु हजार वर्ष चाहती है. दीपावली के बाद मंदिर निर्माण का मूल कार्य शुरू हो सकेगा. उसके बाद 39 माह का समय लगेगा और रामलला अपने भव्य भवन में विराजमान होंगे. मंदिर निर्माण का जिम्मा संभाल रही एलएंडटी के अलावा टाटा कंसल्टेंसी को निर्माण कार्य के लिए प्रमुख सलाहकार नामित किया गया है. कई नामचीन विशेषज्ञों व वास्तुविदों की सहायता ली जा रही है.

मंदिर के 1200 पाइलिंग की ढलाई के लिए मिक्सिंग प्लांट बनकर तैयार है. पाइलिंग 60 मीटर तक गहरी होगी और इसका व्यास एक मीटर रहेगा. मंदिर की नींव की मजबूती पर सभी का फोकस है. इसके साथ अधिग्रहित परिसर के भीतर आने वाले प्राचीन मंदिरों का गिराए जाने का कार्य चल रहा है. परिसर के समतलीकरण का कार्य जल्द शुरू हो जाएगा.

 

 

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