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दिल्ली पुलिस ने प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य अब्दुल्ला दानिश को गिरफ्तार किया, 19 साल से था फरार

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नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने प्रतिबंधित संगठन सिमी के एक वांछित सदस्य को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. आरोपी का नाम अब्दुल्ला दानिश (58) है, जो 19 साल से फरार चल रहा था. पुलिस ने दावा किया कि अब्दुल्ला दानिश सितंबर 2001 को जामिया नगर से सिमी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान फरार हो गया था. जैसे ही पुलिस वहां पर प्रतिबंधित संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार करने पहुंची तो अब्दुल्ला दानिश वहां से अपने अन्य साथियों के साथ फरार हो गया था.

अब्दुल्ला दानिश के खिलाफ न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में देशद्रोह का मामला दर्ज है, जिसके चलते वर्ष 2002 में उसे अदालत ने भगोड़ा घोषित किया था. दिल्ली – एनसीआर में एनआरसी और सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में लोगों की भीड़ एकत्र करने में अब्दुल्ला दानिश भी सक्रिय था, जिसने युवाओं को भड़काया था.

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद सिंह कुशवाहा ने बताया कि एसीपी अतर सिंह की देखरेख में इंस्पेक्टर शिव कुमार और कर्मवीर की टीम लगभग एक साल से अब्दुल्ला की तलाश में थी. दानिश मुस्लिम युवाओं को बरगला कर भड़काने का काम कर रहा था. वह बार-बार मुस्लिम युवाओं को बहकाता था कि सरकार उनके धर्म के खिलाफ काम कर रही है और यही कह कर उसने बड़ी संख्या में मुस्लिम युवाओं को एनआरसी और सीएए के खिलाफ भड़काया और उन्हें आंदोलन में शामिल होने के लिए कहा.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का छात्र रहा है दानिश

अब्दुल्ला दानिश ने 1985 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से अरेबिक में एमए किया था. वहीं से वह सिमी का सदस्य बना था. वह सिमी के साप्ताहिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेता था और मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी संगठन से जुड़ने के लिए प्रेरित करता था. सिमी के तत्कालीन अध्यक्ष अशरफ जाफरी ने दानिश से प्रभावित होते हुए उसे सिमी की हिंदी मैगज़ीन ‘इस्लामिक मूवमेंट’ का एडिटर बनाया था. दानिश ने 4 साल तक एडिटर का काम संभाला था.

सफदर हुसैन नागोरी और अब्दुस सुभान कुरैशी को दानिश ने ही सिमी का सदस्य बनवाया था.

पुलिस के अनुसार दानिश ने अब्दुस सुभान उर्फ तौकीर जैसे कुख्यात आतंकियों को भी सिमी की सदस्यता दिलवाई थी. तौकीर ने दानिश को एक और आतंकी अबु बशर से मिलवाया. दानिश ने दोनों को भारत सरकार के खिलाफ कुछ धमाकेदार करने के लिए उकसाया. वर्ष 2008 में दोनों ने अपने साथियों के साथ मिलकर अहमदाबाद में सिलसिलेवार बम धमाकों को अंजाम दिया था. तौकीर ने केरल और कर्नाटक में सिमी में कई युवाओं को भर्ती करवाया और उनके लिए ट्रेनिंग कैम्प भी चलाए.

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