नई दिल्ली. उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे के मुख्य आरोपी एवं आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन व उसके भाई सहित छह के विरुद्ध कड़कड़डूमा कोर्ट ने हत्या के प्रयास के आरोप तय कर दिए. ताहिर के घर की छत से चली गोली लगने से दो युवक घायल हो गए थे. आरोप गुरुवार को तय किया था, जिसके विस्तृत आदेश शुक्रवार को जारी हुए.
25 फरवरी, 2020 को दयालपुर थाना क्षेत्र में चांद बाग पुलियों के पास गोली लगने से अजय झा व प्रिंस बंसल घायल हो गए थे. दोनों ने बयान दिया था कि गोली पुलिया के पास स्थित ताहिर हुसैन के घर की छत से चली थी. उस वक्त वहाँ ताहिर, उसके भाई शाह आलम के साथ तनवीर मलिक, गुलफाम, उसका भाई था.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कहा कि गवाहों के बयान से स्पष्ट है कि ताहिर व अन्य शामिल थे.
दंगे के इस मामले में आरोपियों ने पहचान परेड न होने की बात को ढाल बनाने का प्रयास किया था. इस पर न्यायालय ने कहा कि गवाहों ने बयान में आरोपियों का नाम लिया है तो उनकी पहचान परेड कराने की आवश्यकता नहीं है. इसकी आवश्यकता तब होती है, जब गवाह आरोपी को न जानता हो.
दिल्ली दंगे में ताहिर हुसैन है मुख्य आरोपी
न्यायालय ने कहा – वीडियो न होने पर केस अविश्वसनीय नहीं होता. आरोपियों की दलील थी कि प्राथमिकी में उनके नाम नहीं थे. कृत्य से स्पष्ट है कि हिन्दुओं को शारीरिक रूप से हानि पहुंचाना और उनकी संपत्ति को अधिक से अधिक नष्ट करना भीड़ का उद्देश्य था. गोली बरसा कर भीड़ जानबूझकर हिन्दुओं को मारना चाहती थी. यह नहीं माना जा सकता कि आरोपी भीड़ के कृत्य से बेखबर थे.
न्यायालय ने कहा कि इनके अभाव में ऐसा नहीं माना जा सकता कि पुलिस का केस विश्वास योग्य नहीं है.
आरोपियों की उस दलील को खारिज कर दिया कि समान तथ्य और कृत्य के लिए अलग-अलग मुकदमा चलाया जा रहा है. अगर पुलिस अलग घटना के लिए अलग अभियोग चला रही है तो ऐसा नहीं कहा जा सकता, आरोपी पर हर आपराधिक कृत्य और घटना के लिए अलग अभियोग चलाया जा सकता है.