सेवा सहयोग के ११ वर्षो में समाज का रुख बदलनेवाली की ११ प्रेरणादायी कथाएं – तीन
मुंबई (विसंकें). कुछ साल पहले जब समर्थ अपने माता-पिता के साथ केंद्र में आया, तब उसे अपने पैरों पर खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा था. पर, आज समर्थ में दिखने वाला बदलाव आपको निश्चित ही चौंका देगा.
२०१७ से समर्थ सेवा सहयोग फाउंडेशन पुणे के चेतना पुनर्वसन केंद्र पर आ रहा है. सेरेब्रल पाल्सी के कारण जन्म के समय ही समर्थ शारीरिक एवं मानसिक दिव्यांग था. बौद्धिक विकलांगता और दृष्टि की कमजोरी के कारण समर्थ और उसके माता पिता को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था.
चौथी कक्षा से आगे की पढ़ाई के लिए चेतना केंद्र के माध्यम से उसे हुतात्मा राजगुरु स्कूल में प्रवेश मिल गया. स्कूल के शिक्षकों को समर्थ के दिव्यांगता के बारे में जानकारी दी गयी. समर्थ की समस्या ध्यान में रखते हुए स्कूल के शिक्षकों ने रिसेस में केंद्र पर आकर फिजियोथेरेपी लेने की अनुमति दे दी. स्कूल मुख्याध्यापक और शिक्षकों के सहकार्य से पाठ्यक्रम भी केंद्र पर होने लगा.
समर्थ के दैनंदिन व्यवहार और शिक्षा की समस्याएं दूर हों, इसलिए चेतना पुनर्वसन केंद्र द्वारा अलग- अलग प्रयास किये गए. नेत्रतज्ञ डॉ. राजेश पवार ने उसके आंखों की जांच की और जनकल्याण द्वारा एक अलग चश्मा बनाया गया. यशोवाहिनी द्वारा समर्थ का पाठ्यक्रम डिजिटल रूप से कराया गया और सुनाने के लिए उसे छोटे स्पीकर दिए गए.
मार्च २०१९ में समर्थ के पैर की करेक्टिव सर्जरी डॉ. बागुल द्वारा यूनिवर्सल अस्पताल में की गयी. सर्जरी के लिए आर्थिक मदद उपलब्ध करवाने में चेतना पुनर्वसन केंद्र की अहम भूमिका थी. डॉ. श्रुति वाडेकर, विशेष शिक्षिका पूजा गयावल, स्पीच थेरेपिस्ट शीतल ने समर्थ को पढ़ने का और थेरपी देने का काम मन लगाकर किया. लॉकडाऊन के पांच महीनों में उसके माता पिता को सूचनाएं देकर, कभी उसके घर जाकर डॉ. श्रुति ने उसे खड़ा करने की, चलाने की कोशिश की.
आज समर्थ अपने पैरों पर खड़ा हो पाने में समर्थ है. सपना पूरा करने के लिए उसके माता पिता सहित चेतना पुनर्वसन केंद्र भी प्रयत्नशील रहेगा. समर्थ के जैसे सेरेब्रल पाल्सी ग्रस्त और २० विद्यार्थी चेतना पुनर्वसन केंद्र में समर्थ बनने का प्रयास कर रहे हैं. अपने बच्चे भी अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं, सीख सकते हैं, विचार कर सकते हैं, यह चेतना माता-पिता में और उन बच्चों में जागृत करने का काम चेतना पुनर्वसन केंद्र कर रहा है. बौद्धिक और शारीरिक दृष्टि से दिव्यांग बच्चों में नयी चेतना निर्माण करने के लिए आज ऐसे अनेक हाथों की आवश्यकता है. आप अपना योगदान दे सकते हैं.