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समता, ममता व समरसता से ही दूर होगा समाज का विघटन

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बाबा साहब की जयन्ती पर प्रताप गौरव केंद्र मे लाइव परिचर्चा

उदयपुर. बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयन्ती के उपलक्ष्य में “महाराणा प्रताप – सामाजिक समरसता के दैदीपयमान स्तंभ” विषय पर प्रताप गौरव केन्द्र द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया. प्रताप गौरव केंद्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि परिचर्चा में परमेन्द्र दशोरा, महामंत्री वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति तथा विवेक भटनागर, सीनियर रिसर्च फैलो जेएनयू रहे.

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप एवं बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर को सामाजिक समरसता का अग्रदूत एवं पुरोधा बताते हुए कहा कि आज के वर्तमान परिपेक्ष्य में सामाजिक समरसता को अपने व्यवहार में लाकर सामाजिक विघटन को समता, ममता और समरसता के वातावरण से ही बदला जा सकेगा.
परमेन्द्र दशोरा ने कहा कि बाबा साहब ने बचपन से निर्वाण तक अपने जीवन में समता का दृष्टिकोण अपनाते हुए श्रेष्ठ भारत बने, सामाजिक विषमता समाप्त हो, आपस में मेलजोल बढ़े, स्नेह पुष्पित हो पल्लवित हो इसका प्रयास किया. समरसता का दीप लेकर आगे बढ़ने से ही समता और ममता के भाव का जागरण होगा. मेवाड़ के इतिहास के अन्दर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप एक ऐसी शख्सियत रहे है, जिन्होंने सामाजिक समरसता का परिचय दिया. युद्ध में किसी एक समाज के नहीं वरन छत्तीस ही कौम के लोगों ने युद्ध में कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दिया. महाराणा प्रताप ने 12 वर्ष लड़ाई लड़ी, शेष के 13 वर्ष सृजन का कार्य किया. आज समाज में विघटन के कार्य ज्यादा और सृजन के कार्य कम हो रहे हैं, इसलिए सामाजिक समरसता के भाव के साथ जीवन जीते हुए समाज सृजन के कार्य को बढ़ाने की आवश्यकता है.

विवेक भटनागर ने कहा कि महाराणा प्रताप के पीछे आ रही पूरी विरासत ही सामाजिक समरसता से युक्त थी. महाराणा प्रताप सम्राट थे, लेकिन उनका लालन पालन वनवासी बंधुओं के बीच ही हुआ. प्रताप ने पूरा जीवन ही इन्हीं लोगों के बीच बिताया. युद्ध के दौरान सेना में सभी समाज के लोगों की सहभागिता रही. कभी ऊंच या निम्नता का भाव नहीं आया. प्रताप के मन में समानता का भाव था. समाज को एक साथ खड़ा करके लड़ना यह काबिलियत प्रताप में ही नजर आ सकती है.

दोनों वक्ताओं ने सामाजिक समरसता का संदेश देते हुए आह्वान किया कि वे भारतीय समाज को जोड़ने वालों का स्वागत करें और समाज में विभेद उत्पन्न करने वालों का पुरजोर विरोध करें. परिचर्चा का संचालन कर रहे अनुराग सक्सेना ने कहा कि बाबा साहब डॉ. आंबेडकर ने समाज को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. सामाजिक समरसता का विषय बाबा साहब के जीवन में चरितार्थ होता है.

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