करंट टॉपिक्स

बसंत पंचमी पर अमृत स्नान का दिव्य आयोजन, संगम तट पर उमड़े संत-महात्मा और श्रद्धालु

Getting your Trinity Audio player ready...
Spread the love

महाकुम्भ नगर। प्रयागराज महाकुम्भ में बसंत पंचमी के पावन अवसर पर सोमवार अखाड़ों द्वारा भव्य अमृत स्नान किया जा रहा है। संत-महात्मा और श्रद्धालु संगम तट पर उमड़ पड़े हैं। देश के प्रमुख संतों ने भव्य और दिव्य व्यवस्थाओं के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की।

बसंत पंचमी के पावन पर्व पर पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है, हमारा सामाजिक सद्भाव, आध्यात्मिक मूल्य आज पूरे विश्व के केंद्र में हैं। योग और आयुर्वेद के माध्यम से भारत की अद्भुत स्वीकृति बढ़ रही है। हम वही हैं जो पूरे संसार को अपना परिवार मानते हैं। हम यह भी चाहते हैं कि अधिक से अधिक वृक्ष लगाए जाएं और प्लास्टिक का उपयोग न किया जाए। – जूना अखाड़ा पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज

आज बसंत पंचमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। सभी सनातनी आज मां सरस्वती की आराधना करेंगे। सभी अखाड़े पवित्र स्नान कर रहे हैं। कोई भी सरकार इस परंपरा को तभी समझ सकती है, जब सरकार में कोई धर्म को समझने वाला हो, और धर्म को योगी जी (आदित्यनाथ) से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। – आचार्य महामंडलेश्वर एवं निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज, निरंजनी अखाड़ा

अमृत स्नान को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत भाव और दिव्य तैयारी की है। शासन और प्रशासन की ओर से भी पूरा सहयोग किया गया है। पूरी दिव्यता के साथ अमृत स्नान संपन्न हो रहा है। समस्त अखाड़े अपने-अपने समय के अनुसार त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा रहे हैं। सभी को अमृत स्नान का लाभ मिलेगा। – आनंद अखाड़े के आचार्य स्वामी बालिकानंद गिरी जी

आज बसंत पंचमी के अवसर पर अंतिम ‘अमृत स्नान’ है। ‘अमृत स्नान’ के बाद हम वाराणसी के लिए प्रस्थान करेंगे। हमें स्नान के लिए 40 मिनट का समय दिया गया है। सभी श्रद्धालुओं से आग्रह करता हूं कि बिना आवश्यक कारण संगम घाट न आएं। – महंत रविंद्र पुरी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद

अमृत स्नान बहुत शांतिपूर्वक और उत्कृष्ट तरीके से संपन्न हुआ। इस कुम्भ मेला का उद्देश्य विश्व में शांति और एकता स्थापित करना है। सभी को इससे एक सीख लेनी चाहिए। यहां सभी जाति और धर्म के लोग एकत्रित होते हैं। एकता, समृद्धि और भाईचारे की भावना बनी रहे। – अटल पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती

महाकुम्भ स्वयं ही अमृत स्नान है। मुगल शासन के दौरान जिसे शाही स्नान कहा जाता था, आज वैदिक संस्कृति में उसे अमृत स्नान के नाम से जाना जाता है। गंगा मात्र दर्शन से ही पापों से मुक्त करने की क्षमता रखती है, और हम यहां त्रिवेणी में उपस्थित हैं। – महामंडलेश्वर स्वामी ज्योतिर्मयानंद गिरी महाराज, निरंजनी अखाड़ा

आज बसंत पंचमी के अवसर पर ‘अमृत स्नान’ हो रहा है। मुझे नहीं लगता कि इससे पहले कभी कुम्भ में इतनी बड़ी संख्या में लोग आए होंगे। बच्चों और बुजुर्गों को पहले स्नान कराया जाना चाहिए। श्रद्धालुओं को सभी का ध्यान रखना चाहिए। मैं युवाओं से भी आग्रह करता हूं कि वे सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करें। – आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर जी

आज का स्नान पूरे विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना करने का अवसर है। यहां सभी प्रकार के लोग आए हैं। प्रशासन द्वारा किए गए इंतजाम उत्कृष्ट हैं। – महानिर्वाणी अखाड़ा महामंडलेश्वर विश्वेश्वरानंद सरस्वती महाराज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *