स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत 16 जिलों में रोजगार सृजन केंद्रों का शुभारंभ
भोपाल. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि यह एक धारणा बनाई गई है कि भारत सिर्फ कृषि प्रधान देश था. भारत सिर्फ कृषि प्रधान देश नहीं था. भारत की दीर्घकालीन सभ्यता बताती है कि हमारे यहां 64 प्रकार की कलाएं थीं. उद्योग भी बड़े स्तर पर था. हम दुनिया के साथ व्यापार करते थे. धर्मपाल जी ने भारत के संदर्भ में बहुत शोधपूर्ण लेखन किया है. उनकी एक पुस्तक में बताया है कि 18वीं शताब्दी में भारत विज्ञान एवं उद्योग के क्षेत्र में प्रगत देश था. विल डूरंट ने आंकड़ों के साथ बताया है कि अंग्रेजों ने भारत के उद्योगों को किस तरह लूटा है.
सरकार्यवाह जी स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत भोपाल सहित 16 जिलों के जिला रोजगार सृजन केंद्रों के लोकार्पण एवं शुभारंभ अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. भोपाल के शिवाजी नगर स्थित सी-13 में सर्वप्रथम सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने मंत्रोच्चार के बीच रोजगार सृजन केंद्र का विधिवत शुभारंभ किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के उप-मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओमप्रकाश जी, स्वावलंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय सह-समन्वयक जितेंद्र गुप्त जी और स्वदेशी जागरण मंच मध्य भारत प्रान्त की महिला कार्य प्रमुख प्रतिभा चतुर्वेदी जी उपस्थित रहे.
सरकार्यवाह जी ने कहा कि भारत में स्थानीय स्तर पर भी लोगों को रोजगार मिलने की व्यवस्था थी. लेकिन हम किन्हीं कारणों से रोजगार के मामले में पिछड़ गए. स्वतंत्र भारत में अपने पैरों पर खड़े होने के जो प्रयत्न होने चाहिए थे, नहीं हुए. हमें आज विचार करना चाहिए कि कैसे हम अपने स्तर पर रोजगार को बढ़ाने के प्रयास कर सकते हैं. रोजगार के लिए एक इकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि वे स्वरोजगार के लिए शासकीय सहायता चाहने वाले युवाओं को हतोत्साहित न करें. बल्कि उन्हें ठीक प्रकार से मार्गदर्शन दें, उन पर भरोसा करें और उन्हें प्रोत्साहित करें. समाज में भी स्वरोजगार के प्रति सकारात्मक वातावरण बनना चाहिए, भले ही वह स्वरोजगार कितना ही छोटा हो. भारत को स्वावलंबी बनाने का यह अभियान समूचे समाज का अभियान बनना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान अपने गांव लौटे लोगों को राष्ट्रीय विचार के संगठनों ने कौशल का प्रशिक्षण दिया ताकि वे अपने ही स्थान पर कार्य कर सकें, उन्हें बड़े शहरों की ओर न भागना पड़े. परंपरागत कौशल में नई टेक्नोलॉजी को जोड़कर हम लोगों के कौशल को और प्रभावी बना सकते हैं. भारत को स्वावलंबी बनाने के लिए क्रिएशन ऑफ वेल्थ, स्किल एन्हांस और क्रिएशन ऑफ जॉब्स पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व तो भारत के अनेक लोगों ने भारत को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने का विचार किया, लेकिन स्वतंत्रता मिलने के बाद इस दिशा में भारतीय दृष्टि के अनुकूल समुचित प्रयास नहीं हुए. हमने जिस प्रकार समाजवाद और मिश्रित अर्थव्यवस्था के मार्ग को अपनाया, उसके कारण कहीं न कहीं हम पिछड़ गए. उन्होंने यह भी कहा कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम केवल अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त करने तक सीमित नहीं था. अपितु सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी हम स्वतंत्रतापूर्वक अपनी भारतीय दृष्टि से काम करें, यह हमारे लोगों ने विचार किया था.
मुख्य अतिथि ओमप्रकाश जी ने कहा कि खादी ग्राम उद्योग भारत सरकार का स्वरोजगार देने वाला सबसे प्रमुख प्रकल्प है. इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दिया जा रहा है. भारत सरकार लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित कर रही है और इसके लिए उन्हें सहायता प्रदान कर रही है.
स्वावलंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय सह–समन्वयक जितेंद्र गुप्त जी ने बताया कि अभियान का उद्देश्य भारत को स्वावलंबन की ओर ले जाना है. भारत के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्र के 24 संगठनों ने भारत को स्वावलंबी बनाने का संकल्प लिया है. स्वावलंबी भारत का निर्माण चार चरणों में काम करने से संभव हो सकता है – विकेंद्रीकरण, उद्यमिता, सहकारिता और स्वदेशी (स्थानीय उत्पाद). इस दिशा में पहले देशभर में रोजगार के प्रति जनजागरण किया गया और रोजगार सृजन केंद्रों को शुरू कर उनके माध्यम से स्वरोजगार की जानकारी देने के केंद्र विकसित किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन केंद्र की मूल भावना है कि नौकरी की अपेक्षा युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना और स्वरोजगार के संबंध में आवश्यक जानकारी प्रदान करना. नौकरियों की भी जानकारी यहां दी जाएगी, लेकिन नौकरी रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम नहीं बन सकती. रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम तो स्वरोजगार ही है.