नई पीढ़ी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए उच्च स्तरीय गतिशीलता, भारतीय वायु सेना की हवाई सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ावा
नई दिल्ली. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने ओडिशा के तट के करीब एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से सतह से हवा में मार करने वाली नई पीढ़ी आकाश मिसाइल (आकाश-एनजी) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. उड़ान का परीक्षण भूमि आधारित प्लेटफॉर्म से दोपहर करीब 12:45 बजे किया गया, जिसमें मल्टीफंक्शन रडार, कमांड, कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम और तैनाती विन्यास में भाग लेने वाले लांचर जैसी सभी हथियार प्रणालियां थीं. यह मिसाइल भारतीय वायु सेना को मजबूत करेगी.
मिसाइल प्रणाली को रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल), हैदराबाद द्वारा डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के सहयोग से विकसित किया गया है. प्रक्षेपण को भारतीय वायु सेना के प्रतिनिधियों ने देखा. उड़ान डेटा को हासिल करने के लिए आईटीआर ने इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम, रडार और टेलीमेट्री जैसे कई रेंज स्टेशनों को तैनात किया. इन प्रणालियों द्वारा कैप्चर किए गए संपूर्ण उड़ान डेटा से संपूर्ण हथियार प्रणाली के दोषरहित प्रदर्शन की पुष्टि की गई है. परीक्षण के दौरान, मिसाइल ने तेज और फुर्तीले हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए आवश्यक उच्चस्तरीय गतिशीलता का प्रदर्शन किया.
एक बार तैनात होने के बाद आकाश-एनजी हथियार प्रणाली भारतीय वायु सेना की हवाई सुरक्षा क्षमता में शानदार इज़ाफ़ा करने वाली साबित होगी. उत्पादन एजेंसियों भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने भी परीक्षणों में भाग लिया.