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ज्वलंत/हमारी आस्तीन में हैं – आयुर्वेद के दुश्मन..!

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नालंदा के बारे में प्रायः सभी ने पढ़ा/सुना होगा, लेकिन बख्तियार खिलजी को वही जानते होंगे जो देश की महानता और उसके असली दुश्मनों के बारे में जानना चाहते हैं.
नालंदा विश्वविद्यालय का अस्तित्व चौथी शताब्दी से बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी तक था. चीनी स्कॉलर ह्वेनसांग यहां का विद्यार्थी था. नालंदा की ज्ञान परंपरा और संस्कृति के बारे में ह्वेनसांग द्वारा लिखे वृत्तांत को इतिहास में सबसे प्रामाणिक माना जाता है.
उसने विश्व के उच्चकोटि के शैक्षणिक संस्थान के रूप में इसका वर्णन किया है. तो नालंदा मंर ये बख्तियार खिलजी कहां से आ गया, यह कौन है..? आइए इसे जानें.
बख्तियार खिलजी एक तुर्क लुटेरा था जो सन् 1199 में लूट-पाट करते हुए यहां पहुंचा. उसने नालंदा के इलाके में अपने मुट्ठी भर सैनिकों के साथ डेरा जमाया.

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