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विस्तारवादी चीन – अकेले भारत ही नहीं, अन्य देशों की भी 41 लाख वर्ग किमी भूमि पर चीन का कब्जा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब लद्दाख में सेना के जवानों के कन्धा से कन्धा मिलाते हुए चीन की असलियत सबके सामने रख दी तो ड्रैगन के पेट में जलन मची. वैसे तो प्रधानमंत्री ने किसी देश का नाम नहीं लिया था, लेकिन कहते हैं ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’, शामतक चीन ने बयां जारी कर कहा कि ‘हमें विस्तारवादी कहना गलत है, हमने अपने 14 में से 12 पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से सीमा विवाद हल किये हैं.’ चीन शायद अब वैश्विक दबाव से घबराने लगा है, यही कारण है कि वो खुद को गुड बॉय की तरह दिखाना चाहता है. जब चीन की सेना गलवान घाटी के पेट्रोल प्वाइंट 14 से वापस जा रही थी, तब भी चीन की मीडिया ने एक विडियो जारी किया. जिसमें भारतीय जवान कुछ निर्माण कार्य करते हुए देखे जा सकते हैं. इस वीडियो के साथ चीन ने आरोप यह लगाया कि इस विवाद की शुरुआत हमने नहीं भारत ने की है. तो आइए जरा इस गुड बॉय के पुराने रिकॉर्ड पर नजर डालते हैं और देखते हैं कि क्या चीन का दावा सही है? क्या चीन सच में गुड बॉय है?

सभी पड़ोसियों की सीमा में अतिक्रमण कर रहा विस्तारवादी चीन

चीन की 22 हजार 117 किमी लंबी सीमा 14 देशों से लगती है. चीन की सीमाएं विश्व में सबसे ज्यादा देशों से मिलती हैं और इन सभी देशों के साथ चीन का किसी न किसी तरह का सीमा विवाद चल रहा है. पूर्वी तुर्किस्तान, तिब्बत, इनर मंगोलिया या दक्षिणी मंगोलिया, ताइवान, हॉन्गकॉन्ग और मकाउ समेत 6 देशों को चीन ने अपने नक़्शे में शामिल कर रखा है. इन सभी देशों का कुल क्षेत्रफल 41 लाख 13 हजार 709 वर्ग किमी से ज्यादा है जो चीन के कुल क्षेत्रफल का 43% है.

पूर्वी तुर्किस्तानचीन ने पूर्वी तुर्किस्तान पर 1949 में कब्जा किया था, जिसे वो शिनजियांग प्रांत बताता है. यहां की कुल आबादी में 45% उइगर मुस्लिम हैं, जबकि 40% हान चीनी हैं. उइगर मुस्लिम तुर्किक मूल के माने जाते हैं. चीन ने तिब्बत की तरह ही शिनजियांग को भी स्वायत्त क्षेत्र घोषित कर रखा है.

तिब्बत23 मई, 1950 को चीन के हजारों सैनिकों ने तिब्बत पर हमला कर दिया और उस पर कब्जा कर लिया था. पूर्वी तुर्किस्तान के बाद तिब्बत, चीन का दूसरा सबसे बड़ा प्रांत है. यहां की आबादी में 78% बौद्ध हैं. 1959 में चीन ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को बिना बॉडीगार्ड के बीजिंग आने का न्योता दिया था, लेकिन उनके समर्थकों ने उन्हें घेर लिया था, ताकि चीन गिरफ्तार न कर सके. बाद में दलाई लामा को भारत में शरण लेनी पड़ी. 1962 में भारत-चीन के बीच हुए युद्ध के पीछे ये भी एक कारण था.

दक्षिणी मंगोलिया या इनर मंगोलियादूसरे विश्व युद्ध के बाद चीन ने इनर मंगोलिया पर कब्जा कर लिया था. 1947 में चीन ने इसे स्वायत्त घोषित किया. एरिया के हिसाब से इनर मंगोलिया, चीन का तीसरा सबसे बड़ा सब-डिविजन है.

ताइवानचीन और ताइवान के बीच अलग ही रिश्ता है. 1911 में चीन में कॉमिंगतांग की सरकार बनी. 1949 में यहां गृहयुद्ध छिड़ गया और माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कॉमिंग तांग की पार्टी को हराया. हार के बाद कॉमिंगतांग ताइवान चले गए. 1949 में चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा और ताइवान का ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा. दोनों देश एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते. लेकिन, चीन दावा करता है कि ताइवान भी उसका ही हिस्सा है.

हॉन्गकॉन्गहॉन्गकॉन्ग पहले चीन का ही हिस्सा था, लेकिन 1842 में ब्रिटिशों के साथ हुए युद्ध में चीन को इसे गंवाना पड़ा. 1997 में ब्रिटेन ने चीन को हॉन्गकॉन्ग लौटा दिया, लेकिन इसके साथ ‘वन कंट्री, टू सिस्टम’ समझौता भी हुआ, जिसके तहत चीन हॉन्गकॉन्ग को अगले 50 साल तक राजनैतिक तौर पर आजादी देने के लिए राजी हुआ. हॉन्गकॉन्ग के लोगों को विशेष अधिकार मिले हैं, जो चीन के लोगों को नहीं हैं.

मकाउमकाउ पर करीब 450 साल तक पुर्तगालियों का कब्जा था. दिसंबर 1999 में पुर्तगालियों ने इसे चीन को ट्रांसफर कर दिया. मकाउ को ट्रांसफर करते समय भी वही समझौता हुआ था, जो हॉन्गकॉन्ग के साथ हुआ था. हॉन्गकॉन्ग की तरह ही मकाउ को भी चीन ने 50 साल तक राजनैतिक आजादी दे रखी है.

भारत की जमीन पर भी है कब्ज़ा

इसी साल 11 मार्च को लोकसभा में दिए जवाब में विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने बताया था कि चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार स्क्वायर किमी के हिस्से पर अपनी दावेदारी करता है. जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार स्क्वायर किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है.

इसके अलावा 2 मार्च 1963 को चीन-पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने पीजेओके का 5 हजार 180 स्क्वायर किमी चीन को दे दिया था. माना जाए तो अभी जितने भारतीय हिस्से पर चीन का कब्जा है, उतना एरिया स्विट्जरलैंड का भी नहीं है. कुल मिलाकर चीन ने भारत के 43 हजार 180 स्क्वायर किमी पर कब्जा जमा रखा है, जबकि स्विट्जरलैंड का एरिया 41 हजार 285 स्क्वायर किमी है.

सिर्फ देश या जमीन ही नहीं, समंदर पर भी अपना हक जताता है चीन

1949 में कम्युनिस्ट सरकार बनने के बाद से ही चीन दूसरे देशों, इलाकों पर कब्जा जमाता रहता है. चीन की सीमाएं 14 देशों से लगती है, लेकिन एक रिपोर्ट बताती है कि चीन 23 देशों के इलाकों को अपना हिस्सा बताता है.

इतना ही नहीं चीन दक्षिणी चीन सागर पर भी अपना हक जताता है. इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच पड़ने वाला यह सागर 35 लाख स्क्वायर किमी में फैला हुआ है. यह सागर इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई से घिरा है. लेकिन, सागर पर इंडोनेशिया को छोड़कर बाकी सभी 6 देश अपना दावा करते हैं.

आज से कुछ सालों पहले तक इस सागर को लेकर कोई तनातनी नहीं होती थी. लेकिन, आज से करीब 5 साल पहले चीन के समंदर में खुदाई करने वाले जहाज, ईंट और रेत लेकर दक्षिणी चीन सागर पहुंचे. पहले यहां एक छोटी समुद्री पट्टी पर बंदरगाह बनाया गया. फिर हवाई जहाजों के उतरने के लिए हवाई पट्टी. और फिर देखते ही देखते चीन ने यहां आर्टिफिशियल द्वीप ही तैयार कर सैन्य अड्डा बना दिया.

चीन के इस काम पर जब सवाल उठे, तो उसने दावा किया कि दक्षिणी चीन सागर से उसका ताल्लुक 2 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है. इस सागर पर पहले जापान का कब्जा हुआ करता था, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के तुरंत बाद चीन ने इस पर अपना हक जता दिया.

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