कट्टरपंथी-अत्याचारी मुगल आक्रान्ता औरंगजेब व बाबर भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए आदर्श नहीं हो सकते. न ही मानना चाहिए. और इनके अत्याचारों को लेकर निंदा की जाती है तो किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए. लेकिन, महाराष्ट्र के उस्मानाबाद की घटना इसके विपरीत कुछ कहती है. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की गई थी, जिसमें औरंगजेब की आलोचना की गई है. पोस्ट सामने आने के बाद उस्मानाबाद में लगभग 150 कट्टरपंथियों की अनियंत्रित भीड़ विरोध-प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर गई और पथराव शुरु कर दिया, जिसमें चार पुलिसकर्मी घायल हो गए.
मंगलवार रात लगभग साढ़े 10 बजे विजय चौक क्षेत्र में अनियंत्रित भीड़ ने एक फेसबुक पोस्ट को लेकर प्रदर्शन के दौरान वाहनों पर पथराव किया और बैनर-होर्डिंग तोड़ डाले. पुलिस ने बुधवार को घटना के संबंध में जानकारी दी. हिंसक भीड़ को रोकने के प्रयास में एक अधिकारी सहित चार पुलिसकर्मी घायल हो गए. भीड़ ने विजय चौक क्षेत्र में एक होर्डिंग, एक पुलिस वाहन और एक ऑटो रिक्शा में तोड़फोड़ की.
रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना में 43 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिन्हें नामित किया गया था, और 150 से 170 अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. जिसमें धारा 307 (हत्या का प्रयास), 333 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य से रोकने के लिए स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना) लोक सेवा, 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम शामिल है.
कट्टरपंथी हमले, हत्या, आगजनी और बर्बरता को सही साबित करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं. चाहे फेसबुक पोस्ट को लेकर बेंगलुरू में हुआ दंगा हो या फिर बांग्लादेश में हिन्दुओं पर सुनियोजित हमला. कट्टरपंथी हर बार फेसबुक पोस्ट के बहाने हिंसा को सही ठहराने की कोशिश करते हैं.