करंट टॉपिक्स

जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए था, उसे जमानत मिलना संस्था की विफलता – सर्वोच्च न्यायालय

Spread the love

नई दिल्ली. विकास दुबे एनकाउंटर के एक मामले में सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी की. न्यायालय ने टिप्पणी की कि गैंगस्टर विकास दुबे जैसे व्यक्ति के खिलाफ अनेक मामले दर्ज होने के बावजूद उसे जमानत मिलना संस्था की विफलता है. सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि विकास दुबे मुठभेड़ की जांच के लिये गठित समिति में शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को शामिल करने पर विचार किया जाए.

प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में मौत और कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों के नरसंहार से संबंधित याचिकाओं पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई की. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि, ‘एक व्यक्ति, जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए था, उसे जमानत मिल जाना संस्था की विफलता है. हम इस तथ्य से स्तब्ध हैं कि अनेक मामले दर्ज होने के बावजूद विकास दुबे जैसे व्यक्ति को जमानत मिल गई.’ सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह बेल ऑर्डर को देखना चाहेगा.

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि उसे ‘कानून का शासन बरकरार रखना है.’ पीठ ने कहा, ‘आपको एक राज्य के रूप में कानून का शासन बरकरार रखना है. ऐसा करना आपका कर्तव्य है.’ वह इस जांच समिति का हिस्सा बनने के लिये अपने किसी पीठासीन न्यायाधीश को उपलब्ध नहीं करा सकती है. पीठ ने जांच समिति में कुछ बदलाव के सुझाव दिये.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *