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समाज में विमर्श खड़ा करने में फिल्मों की बहुत बड़ी भूमिका

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जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान के क्षेत्र प्रचार प्रमुख महेन्द्र सिंहल ने कहा कि यह समय वैचारिक विमर्श का है. समाज में विमर्श खड़ा करने में फिल्मों की बहुत बड़ी भूमिका है. विभिन्न माध्यमों में जो हमें दिखाई देता है. वहीं, समाज का परिदृश्य बनता है. सिंहल शनिवार को भारतीय चित्र साधना एवं अरावली मोशन्स राजस्थान के सयुंक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय फिल्म निर्माण कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जब तक समाज जागरूक होकर खड़ा नहीं होता, तब तक विमर्श नहीं बदला जा सकता.

इस अवसर पर वाह जिंदगी और टर्टल जैसी प्रसिद्ध फिल्म के निर्माता अशोक चौधरी ने “फिल्म कैसे और क्यों देखें” विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि फिल्मों के निर्माण का उद्देश्य और लक्ष्य समाज में बदलाव लाना होना चाहिए. किसी भी फिल्म की आलोचना करना बहुत कठिन है. आलोचना करने से पहले यह देखना चाहिए कि यह राष्ट्रीय हित के लिए ठीक है या नहीं. फिल्म में धर्म के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी या फिल्मांकन तो नहीं किया गया है. फिल्मों में सेंडविच की तरह कई चीजें हमारे सामने परोस दी जाती हैं. इस तरह निर्माता- निर्देशक अपना विमर्श समाज में स्थापित करने की कोशिश करते हैं. चौधरी ने फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए फिल्म की बारीकियों के संबंध में समझाया. उन्होंने अपने जीवन के कई अनुभव भी साझा किए.

कार्यशाला के दूसरे सत्र में प्रोफेसर अमिताभ श्रीवास्तव ने पटकथा लेखन पर चर्चा की. वहीं, रामनरेश विजयवर्गीय ने सिद्धांत एवं व्यवहार विषय पर विचार रखे. कार्यशाला में राजस्थान के 16 जिलों के लघु फिल्म निर्माता भाग ले रहे हैं. कार्यशाला का समापन रविवार को होगा.

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